बेंगलुरु में आरसीबी के विक्ट्री परेड के दौरान (फोटो-सोशल मीडिया)
बेंगलुरु: 4 जून को बेंगलुरु में आरसीबी (रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु) की जीत के जश्न के दौरान भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई और 33 लोग घायल हो गए। जिसके बाद कर्नाटक सरकार ने आईपीएस अधिकारी विकास कुमार के निलंबित कर दिया था।
कर्नाटक सरकार ने आईपीएस अधिकारी विकास कुमार के निलंबन को उच्च न्यायालय में उचित ठहराते हुए गुरुवार को दलील दी कि पुलिस अधिकारी और उनके सहकर्मियों ने आईपीएल जीत के जश्न की तैयारियों के दौरान ‘‘आरसीबी के नौकरों” की तरह काम किया। राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी एस राजगोपाल ने अदालत को बताया कि आईपीएल का फाइनल मैच खेले जाने से पहले ही रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) ने अपनी जीत के जश्न के संबंध में पुलिस अधिकारियों को एक प्रस्ताव सौंपा था।
राजगोपाल ने कोर्ट में कहा कि एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को साफ जवाब देना चाहिए था कि आपने अनुमति नहीं ली है। ऐसी स्थिति में आरसीबी को कोर्ट से इजाजत लेनी पड़ती। सरकार का आरोप है कि अधिकारियों की लापरवाही और जल्दबाज़ी के कारण भगदड़ की स्थिति बनी। राजगोपाल ने कहा कि इतनी बड़ी भीड़ के लिए केवल 12 घंटे में तैयारी करना संभव नहीं था, और इस बात को अधिकारियों ने नजरअंदाज किया।
उन्होंने कर्नाटक राज्य पुलिस अधिनियम की धारा 35 का हवाला दिया, जो पुलिस को आवश्यक कार्रवाई करने का अधिकार देती है तथा अधिकारियों द्वारा उस अधिकार का उपयोग न करने की आलोचना की। राजगोपाल ने कहा कि वरिष्ठ स्तर पर कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया था।
इस मामले में कैट (केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण) ने 1 जुलाई को विकास कुमार का निलंबन रद्द कर दिया था और उन्हें तुरंत सेवा में बहाल करने का आदेश दिया था। अधिकरण ने कहा था कि इतनी बड़ी भीड़ के लिए तैयारी का समय बहुत कम था और पुलिस से कोई चमत्कार करने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
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हालांकि सरकार ने कैट के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। राजगोपाल ने कैट की उस टिप्पणी की भी आलोचना की जिसमें कहा गया था कि “पुलिसकर्मी भगवान या जादूगर नहीं होते।” उन्होंने कहा कि यह बयान किसी दादी-नानी की कहानी जैसा है, न कि कानूनी निर्णय जैसा। हाईकोर्ट ने फिलहाल कैट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है और मामले की अगली सुनवाई तक किसी भी तरह की जल्दबाज़ी से बचने की सलाह दी है।
विकास कुमार उन पांच अधिकारियों में शामिल हैं जिन्हें घटना के बाद निलंबित किया गया था। केवल उन्होंने इस निलंबन की चुनौती दी थी। अन्य निलंबित अधिकारियों में बेंगलुरु पुलिस आयुक्त बी दयानंद, पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) शेखर एच टेक्कन्नावर, सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) सी बालकृष्ण और निरीक्षक ए के गिरीश शामिल हैं। बाकी अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया। (भाषा इनपुट के साथ)