Hindi news, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest Hindi News
X
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • धर्म
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • करियर
  • टेक्नॉलजी
  • हेल्थ
  • ऑटोमोबाइल
  • वीडियो
  • चुनाव

  • ई-पेपर
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • राजनीति
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • क्राइम
  • नवभारत विशेष
  • मनोरंजन
  • बिज़नेस
  • अन्य
    • वेब स्टोरीज़
    • वायरल
    • ऑटोमोबाइल
    • टेक्नॉलजी
    • धर्म
    • करियर
    • टूर एंड ट्रैवल
    • वीडियो
    • फोटो
    • चुनाव
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • क्राइम
  • लाइफ़स्टाइल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • राजनीति
  • बिज़नेस
  • ऑटोमोबाइल
  • टेक्नॉलजी
  • धर्म
  • वेब स्टोरीज़
  • करियर
  • टूर एंड ट्रैवल
  • वीडियो
  • फोटो
  • चुनाव
In Trends:
  • Tariff War |
  • Weather Update |
  • Aaj ka Rashifal |
  • Parliament Session |
  • Bihar Assembly Elections 2025 |
  • Share Market
Follow Us
  • वेब स्टोरीज
  • फोटो
  • विडियो
  • फटाफट खबरें

संसद में बढ़ता हंगामा, घटता कामकाज, लोकतंत्र के मंदिर में धरना प्रदर्शन और बवाल

25 नवंबर से शुरू हुए संसद शीत सत्र में कुल 70 घंटे से ज्यादा का व्यवधान हुआ, जिसमें 65 घंटे का नुकसान तो केवल अंतिम पांच दिनों में हुआ। अंततः सत्र को अनिश्चित काल के लिए समाप्त कर दिया गया।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: Dec 23, 2024 | 01:42 PM

डिजाइन फोटो

Follow Us
Close
Follow Us:

नवभारत डेस्क: हमारी संसद का स्तर लगातार गिरता जा रहा है, कामकाज के दिन कम हो रहे हैं, जो दिन हैं वो भी लगातार हंगामें में व्यर्थ हो जाते हैं, तथ्यों और संदर्भों की दृष्टि से बहस का स्तर गिर ही रहा है। 20 दिसंबर को संपन्न शीत सत्र को ही लें। 25 नवंबर से शुरू हुए इस सत्र में कुल 70 घंटे से ज्यादा का व्यवधान हुआ, जिसमें 65 घंटे का नुकसान तो केवल अंतिम पांच दिनों में हुआ।

19 दिसंबर को हुई झड़प के बाद तो स्थिति इतनी बिगड़ गयी कि सत्र के अंतिम 72 घंटों में से 65 घंटे 15 मिनट का समय हंगामे की भेंट ही चढ़ गया। संसद के शीत सत्र के आखि़री चरण में नियम 377 के तहत 397 ऐसे मुद्दे उठाए गए जिनका सदन के मौजूदा सामान्य कामकाज से सीधा रिश्ता नहीं था। अंततः सत्र को अनिश्चित काल के लिए समाप्त कर दिया गया।

देश की संसद साल में कितने घंटे काम करती है? कामकाज के लिहाज से भारतीय संसद का परफोर्मेंस दुनिया के दूसरी देशों की संसद के मुकाबले कहां आता है? क्या भारतीय संसद में कामकाज की प्रवृत्ति लगातार घट रही है? संसद के संचालन का कितना खर्च आता है? हम ब्रिटेन को लें तो यहां की संसद यानी हाउस ऑफ कामंस में औसतन सालाना 1400-1500 घंटे काम होता है।

अमेरिका की संसद, अमेरिकी कांग्रेस (हाउस और सीनेट) को लें तो साल में लगभग 1500-1600 घंटे काम होता है। इसी तरह जर्मनी की संसद बुंडेसटाग साल में लगभग 900-1000 घंटे काम करती है। जबकि हमारी यानी भारतीय संसद साल में औसतन 60-70 दिन यानी 300-350 घंटे काम करती है। इसमें भी हम उन घंटों को नहीं गिन रहे जो पक्ष-विपक्ष की जिद के चलते जाया हो जाते हैं।

गतिरोध में समय बर्बाद

अगर पिछले 5-10 साल के औसत को देखें तो संसद के कामकाज के इस औसत समय का भी 50 से 60 फीसदी हंगामों,गतिरोध आदि में बर्बाद हो गया है और बचे हुए समय में जो संसदीय बहसें हुई हैं, उनमें भी भाषा का जो स्तर रहा है, आरोप-प्रत्यारोप का रहा है, उस हिसाब से तो हमारी संसद बाकी देशों की संसदों के मुकाबले 25 फीसदी भी काम नहीं करती जबकि हमारी संसद को इन देशों की संसदों के मुकाबले कम से कम 4 से पांच गुना ज्यादा काम करने की जरूरत है। क्योंकि हमारे देश के नागरिकों की समस्याएं इन देशों के नागरिकों के मुकाबले सैकड़ों गुना ज्यादा हैं।

अंदाजा हमारी संसद के साल 2023-24 की उत्पादकता से लगा सकते हैं जो कि लोकसभा की करीब 45 से 50 फीसदी है, जबकि राज्यसभा की कार्य उत्पादकता सिर्फ 40-45 फीसदी है। इसके विपरीत अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान आदि कि संसदों की कार्य-उत्पादकता औसतन 85 से 90 फीसदी है। इन देशों की संसदों में हंगामे कम,काम ज्यादा होते हैं और विधेयकों पर चर्चा जमकर होती है।

चर्चा के बगैर बिल पास होते हैं

भारत में विधायी प्रक्रिया पर चर्चा का समय लगातार घट रहा है। यह बेहद चिंता का विषय है। लेकिन हमेशा से इतनी खराब स्थिति नहीं थी।1950-60 के दशक में संसद में औसतन सालाना 120-140 दिन काम होता था। जबकि 2020 के दशक में यह घटकर औसतन 60-70 दिन पर आ गया है। सवाल है समस्या क्या है?

दरअसल विधायी सत्र हंगामे के कारण बाधित हो रहे हैं। इसलिए कई विधेयक चर्चा के बिना ही पास हो जाते हैं या पास करा लिए जाते हैं। बजट पर चर्चा का समय लगातार कम हो रहा है। सिर्फ हंगामा खड़ा करना मकसद नहीं होना चाहिए। क्योंकि भारत की जीडीपी आंकड़ों में कितनी ही बढ़ गयी हो, लेकिन हमारे पास दुनिया की सबसे ज्यादा जनसंख्या का जो बोझ है,उस लिहाज से हमें अभी बहुत दिन तक बुनियादी सुविधाओं से ही जूझना है।

ऐसे में संसद का भारी-भरकम संचालन का खर्च गरीब भारतीयों पर अमीर बोझ है। संसद के संचालन का औसतन खर्च 1000 करोड़ रूपये सालाना है। इस लिहाज से एक दिन का खर्च करीब 2।5 करोड़ से 3 करोड़ रूपये बैठता है। ऐसे में अगर सत्र बाधित होता है तो यह भारी-भरकम पैसा व्यर्थ चला जाता है।

सवाल है भारतीय संसद का प्रदर्शन इस कदर गिरता क्यों जा रहा है ? इसका कारण राजनीतिक ध्रुवीकरण है। विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच सार्थक संवाद की कमी है। हंगामा और वॉकआउट को हमने बहस और चर्चा के बजाय ताकत दिखाने का सबसे बड़ा हथियार मान लिया है। हमारी प्राथमिकताओं में बदलाव होना चाहिए।

‘नवभारत विशेष’ की अन्य रोचक ख़बरों और लेखों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

विधायी चर्चा के बजाय राजनीतिक बयानबाजी को महत्व देने से बचा जाना चाहिए। संसद के सत्र लगातार छोटे होते जा रहे हैं,इन्हें बढ़ाया जाना चाहिए। सबसे जरूरी बात कि इस सबकी पहल सत्तापक्ष से होनी चाहिए। उसे बड़ा दिल दिखाना चाहिए। संसद का प्रदर्शन लोकतंत्र की गुणवत्ता पर सीधा असर डालता है।

यदि सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो यह प्रवृत्ति भविष्य में और गंभीर हो सकती है। हमारी कल्पना में संसद का उद्देश्य चाहे जो भी हो, संविधान में इसे एक प्रतिनिधि, कानून बनाने वाली, जवाबदेही चाहने वाली संस्था के रूप में ही परिकल्पित किया गया है।

लेख- लोकमित्र गौतम द्वारा

Winter session of parliament increasing uproar work slow

Get Latest   Hindi News ,  Maharashtra News ,  Entertainment News ,  Election News ,  Business News ,  Tech ,  Auto ,  Career and  Religion News  only on Navbharatlive.com

Published On: Dec 23, 2024 | 01:42 PM

Topics:  

  • BJP
  • Congress

सम्बंधित ख़बरें

1

20 पार्टियों ने बनाया प्लान…ज्ञानेश पर होगा तगड़ा ‘प्रहार’, गोगोई बोले- सही समय का इंतजार

2

कांग्रेस और चुनाव आयोग का कलेश, गौरव गोगोई के निशाने पर ज्ञानेश

3

सपा से निकलने के लिए पूजा पाल ने खुद लिखीं पटकथा, अब बीजेपी में होंगी शामिल; देखें यह वीडियो

4

‘यूपी में माफिया मुक्त नहीं, महामाफिया युक्त’, ऑपरेशन महाकाल बना योगी के खिलाफ अखिलेश का हथियार

Popular Section

  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़

States

  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्यप्रदेश
  • दिल्ली NCR
  • बिहार

Maharashtra Cities

  • मुंबई
  • पुणे
  • नागपुर
  • ठाणे
  • नासिक
  • सोलापुर
  • वर्धा
  • चंद्रपुर

More

  • वायरल
  • करियर
  • ऑटो
  • टेक
  • धर्म
  • वीडियो

Follow Us On

Contact Us About Us Disclaimer Privacy Policy
Marathi News Epaper Hindi Epaper Marathi RSS Sitemap

© Copyright Navbharatlive 2025 All rights reserved.