नए साल का क्या हो संकल्प (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, हम नए साल के लिए कुछ संकल्प करना चाहते हैं। इस बारे में हमें कुछ सुझाव या राय दीजिए ताकि हमारा संकल्प सार्थक हो सके।’ हमने कहा, ‘संकल्प लेना आसान है लेकिन निभाना कठिन! जो लोग धुन के पक्के रहते हैं और किसी लक्ष्य को हासिल करने का मनोबल रखते हैं, उन्हें ही संकल्प करना चाहिए। लोकमान्य तिलक ने कहा था- स्वाधीनता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है।
अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा के मंडाले जेल में 6 वर्ष कैद रखा लेकिन उनका संकल्प नहीं टूटा। महात्मा गांधी ने सत्य, अहिंसा का संकल्प जीवनभर निभाया। संकल्प के पक्के लोग कहते हैं- रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाएं पर वचन न जाई। व्यापारी या उद्योगपति नए साल में नया उद्योग खोलने और बड़ा मुनाफा कमाने का संकल्प करता है। पुर्तगाल के फुटबाल सुपरस्टार रोनाल्डो ने अब तक 956 गोल बना लिए हैं। अपनी 41 वर्ष की उम्र के बावजूद वह 1,000 गोल का टारगेट पूरा करने का संकल्प रखते हैं। संकल्प या रेजोल्यूशन के साथ एक्शन भी होना चाहिए।’ पड़ोसी ने कहा, ‘हम सोच रहे हैं कि किसी पंडित को बुलाकर मंत्रोच्चार के बीच हाथ में जल लेकर विधिवत संकल्प करें।
दानवराज बलि ने भी तो वामन अवतार को 3 पग भूमि दान में देने का संकल्प किया था। दानवीर कर्ण ने भी संकल्पपूर्वक अपने कवच-कुंडल दान कर दिए थे। राजा हरिश्चंद्र ने सत्य का पालन करने का अपना कठिन संकल्प निभाया था। विश्वामित्र ने उनकी कड़ी परीक्षा ली लेकिन वह डिगे नहीं। भगीरथ ने गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने का संकल्प पूरा कर दिखाया। भगवान राम ने रावण वध का संकल्प पूरा किया था।’
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हमने कहा, ‘आप बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं। आप खुद क्या करने जा रहे हैं? क्या मॉर्निंग वॉक शुरू करेंगे? गुटखा खाकर सड़क पर थूकने का व्यसन छोड़ेंगे? फास्ट फूड की बजाय पोषक आहार लेंगे? काम, क्रोध, मद, लोभ को नियंत्रित करेंगे? गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करेंगे? लोगों के साथ अपना व्यवहार सुधारेंगे? अहंकार छोड़ेंगे?’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, यथाशक्ति संकल्प करने के बाद भी यदि उसका पालन नहीं किया जा सके तो 1 वर्ष बाद फिर संकल्प करने का विकल्प रहता है। संकल्प इसीलिए रहते हैं कि अपनी सुविधानुसार कभी भी तोड़े जा सकें।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा