केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए उसके गैरजिम्मेदार और बड़बोले प्रवक्ता व्यर्थ की मुसीबत पैदा कर रहे हैं. इन प्रवक्ताओं को इस बात का भान नहीं रहता कि उनकी बेतुकी और विवादास्पद बयानबाजी से सरकार की छवि विदेश में बिगड़ सकती है. पैगम्बर मोहम्मद को लेकर बीजेपी प्रवक्ताओं के विवादित बयान से खाड़ी देशों में गुस्सा फूट पड़ा है. सरकार को संतुलित नीति अपनाते हुए वैदेशिक संबंध भी संभालने हैं जिनमें किसी भी उल्टे-सीधे बयान से रिश्तों में खटाई पड़ सकती है. भारत के अरब राष्ट्रों से अच्छे कूटनीतिक एवं व्यापारिक संबंध हैं, इसलिए ऐसी कोई अवांछित बात नहीं होनी चाहिए कि ये देश नाराज हो जाएं. बीजेपी ने अपने कट्टर प्रवक्ताओं नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल पर सख्ती दिखाई.
पैगम्बर मोहम्मद पर विवादित बयान देनेवाली नूपुर को पार्टी से 6 वर्ष के लिए निलंबित कर दिया तथा दिल्ली बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता नवीन जिंदल की प्राथमिक सदस्यता तत्काल समाप्त कर पार्टी से निष्कासित कर दिया. जब भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू कतर के दौरे पर थे, उसी वक्त बीजेपी प्रवक्ताओं के बेतुके बयान से सरकार अड़चन में आ गई. कतर के विदेश मंत्रालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए भारतीय राजदूत डा. दीपक मित्तल को तलब किया और उन्हें एक आधिकारिक नोट सौंपा जिसमें पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ भारत में सत्तारूढ़ दल के एक पदाधिकारी द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणी को हताशाजनक बताते हुए निंदा की गई. अरब देश ने सार्वजनिक माफी मांगने और ऐसे बयान पर भारत सरकार से भर्त्सना की मांग की है.
क्या भारत झेल सकता है अरब देशों की नाराजगी
भारत ने संतुलित नीति पर चलते हुए विगत अनेक दशकों से अरब देशों के साथ अपने अच्छे संबंध रखे हैं. खाड़ी देशों में भारत के लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है. इन देशों में भारत की तकनीक, निर्माण, फाइनेंस और होटल से जुड़ी कई कंपनियां हैं. भारत में विदेश से जो धन आता है, उसमें खाड़ी देशों से आनेवाली रकम सबसे ज्यादा है. अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत से ज्यादा क्रूड ऑइल भारत अरब देशों से मंगाता है. यहां से भी अरब देशों को काफी चीजों का निर्यात होता है. बड़ी तादाद में भारतीय मुस्लिम प्रति वर्ष हज यात्रा करने मक्का-मदीना जाते हैं. अरब देश भी ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज (ओआईसी) में पाकिस्तान की बजाय इंडिया का पक्ष लेते आए हैं क्योंकि भारत में काफी तादाद में मुस्लिम हैं. भारत ने कई दशकों तक अरब देशों को खुश रखने के लिए इजराइल से दूरी बनाकर रखी थी.
इंदिरा गांधी के शासनकाल में फलस्तीनी नेता यासर अराफात से भारत के अच्छे संबंध थे. इस्लामिक देशों के संगठन में भी पाकिस्तान ने कई बार भारत के खिलाफ प्रस्ताव लाना चाहा पर उसे सफलता नहीं मिली. पाकिस्तान का साथ सिर्फ तुर्की देता है. लेकिन इन सब बातों को न समझते हुए बीजेपी के कट्टर प्रवक्ताओं ने जोश-जोश में ऐसी बयानबाजी की कि सरकार के लिए पसोपेश की स्थिति पैदा हो गई. यदि कट्टरपंथियों पर सरकार ने समय रहते रोक नहीं लगाई तो अरब देशों से रिश्ते बिगड़ सकते हैं. संवेदनशील मुद्दों पर बयानबाजी करना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के समान है. भारत एक बार अपने देवी-देवताओं पर टिप्पणी के मामले में सहनशील हो जाता है लेकिन इस्लामी देश पैगम्बर पर कोई कमेंट हरगिज बर्दाश्त नहीं करते. फ्रांस इसका भुक्तभोगी रहा है. बीजेपी ने उचित कदम उठाया जो अपने इन प्रवक्ताओं पर तत्काल एक्शन लिया.
धार्मिक उन्माद पर रोक जरूरी
टीवी चैनल्स पर विभिन्न पार्टी प्रवक्ताओं की धार्मिक मसलों पर बहस उत्तेजनापूर्ण हो जाती है, जिसे टाला जा सकता है. अरब देश भारत के बहुलतावादी स्वरूप और सभी धर्मों को साथ लेकर चलने की नीति से अब तक संतुष्ट रहे हैं. कतर व कुवैत में भारतीय राजदूत को तलब करने पर भारत की ओर से साफ कर दिया गया कि ये बयान भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शाता है. ऐसा बयान देने वाले सरकार में किसी आधिकारिक पद पर नहीं हैं और पार्टी ने भी उन्हें निष्कासित कर दिया है. बीजेपी ने कहा कि हम सभी धर्मों और उनके पूज्यों का सम्मान करते हैं.
प्रवक्ताओं की नाराजी क्यों
पार्टी प्रवक्ताओं को आक्रामक और जोशीले अंदाज में बोलने के लिए कौन प्रेरित व प्रोत्साहित करता है? 2024 के आम चुनाव को देखते हुए बीजेपी धार्मिक उन्माद से जुड़े मुद्दों को तरजीह दे रही है. प्रवक्ता इसे ही पार्टी लाइन मानकर टीवी पर अनर्गल प्रलाप करते हैं व बहस के दौरान असंतुलित बातें कह जाते हैं. इन प्रवक्ताओं को सरकार की विदेश नीति तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों की संवेदनशीलता से कोई लेना-देना नहीं रहता. यह उनका क्षेत्र भी नहीं है. विदेश में मोदी सरकार की छवि संतुलित व शालीन है लेकिन देश में उनकी पार्टी चुनावी लाभ के लिए अलग राह पर चलती है. इस तरह का असंयमित रवैया देखते हुए ही हाल ही में आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद मुद्दे पर बीजेपी व हिंदू संगठनों को कड़ा संदेश दिया था.