चीन की फौजी तैयारियों से अमेरिका भी चिंतित (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: चीन की फौजी तैयारियों से भारत ही नहीं, अमेरिका भी चिंतित है। उत्तरी सीमा पर भारत की पूरी नजर है तथा वह निकोबार में बड़ा नौसैनिक अड्डा बना रहा है ताकि बंगाल की खाड़ी से लेकर हिंद महासागर के पूर्वी हिस्से तक चीन के खिलाफ सुरक्षा बनी रहे। आपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने अपने विमान, ड्रोन व प्रक्षेपास्त्र पाकिस्तान को दिए थे ताकि उनकी क्षमता का आकलन हो जाए। अमेरिका ने चीन को अपना बड़ा अंतरराष्ट्रीय प्रतिद्वंद्वी माना है।
अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने चीन की बढ़ती फौजी गतिविधियों के लिए चेतावनी दी है और कहा है कि अमेरिका अपने रक्षा औद्योगिक उत्पादन में तेजी लाएगा। विस्तारवादी चीन की नीयत में खोट है। उसके विभिन्न देशों से 22 सीमा विवाद हैं। हर पड़ोसी देश की जमीन पर वह अपना हक जताता है। मंगोलिया और रूस की जमीन पर भी वह दावा करता है। भारत के अरुणाचल राज्य को अपना क्षेत्र बताने के साथ ही वह नेपाल को भी भारत के खिलाफ भड़काता है। चीन की फौजी तैयारियों की गति अमेरिका से तीन गुनी है। जितने समय में अमेरिका एक युद्धनौका या वारशिप बनाता है उतने में चीन 8 वारशिप बना लेता है। भारत ने भी चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत देखते हुए 2 विमानवाही पोतों को तैनात कर रखा है। अमेरिका को फिक्र है कि चीन ताइवान पर हमला न कर दे।
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चीन की चुनौती को देखते हुए ही 4 देशों अमेरिका, आस्ट्रेलिया, भारत व जापान ने रक्षा सहयोग का गठबंधन ‘क्वाड’ बनाया है। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने चीन की फौजी तैयारियों को आक्रामक व ऐतिहासिक करार दिया और कहा कि यह अमेरिका के संपूर्ण रणनीतिक दृष्टिकोण को गंभीर चुनौती देनेवाला कदम है जिसे समय रहते रोकना होगा। विचित्र बात यह है कि अमेरिका यह जानते हुए भी कि पाकिस्तान चीन की कठपुतली बना हुआ है, उसे धमकाने की बजाय फील्डमार्शल मुनीर को प्रोत्साहन दे रहा है। चीन की रणनीति पाकिस्तान के ग्वाडर और कराची जैसे बंदरगाहों पर अपना वर्चस्व बनाए रखने की है। पाकिस्तान दोनों देशों से अपना मतलब पूरा करने में लगा है। अमेरिका सुपर पॉवर के रूप में अपनी मर्जी से विश्व को चलाने की वर्ल्ड आर्डर नीति पर चलना चाहता है। उसके सामने अब चीन ही बड़ी चुनौती रह गया है।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा