यूक्रेन ने दिखा दी रूस को अपनी ताकत (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: विगत 3 वर्षों से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध न जाने कब तक चलेगा? दोनों देशों के बीच तुर्किए की राजधानी इस्तांबुल में 1 घंटे तक चली वार्ता में कैदियों की अदला-बदली के मुद्दे को छोड़कर अन्य कोई प्रगति नहीं हुई।रूस ने यूक्रेन का बिना शर्त युद्ध विराम का प्रस्ताव ठुकरा दिया।यह युद्ध अब अधिक संहारक होता जा रहा है।रूस ने एक सप्ताह पहले 367 ड्रोन और मिसाइल के जरिए यूक्रेन व उसकी राजधानी कीव पर व्यापक हमला किया था जिसका बहुत सख्त जवाब देते हुए यूक्रेन ने ऑपरेशन स्पाइडर्स वेब के तहत 117 एफपीवी (फर्स्ट पर्सन व्यू) ड्रोन के माध्यम से रूस पर जबरदस्त हमला कर उसके 5 एयरबेस तबाह कर दिए।
इनमें से एक बेलाया एयरबेस तो यूक्रेन सीमा से 4300 किलोमीटर दूर साइबेरिया के ईकुटस्क में था।इस हमले की तैयारी यूक्रेन 18 महीने पहले से कर रखी थी।इसके लिए ड्रोन्स के पैकेट्स को गुप्त रूप से ट्रकों द्वारा रूस के अंदर तक पहुंचाया गया।इन ट्रकों की छत रिमोट कंट्रोल से खुलती थी और मौका देखकर रिमोट के जरिए ही यह ड्रोन उड़ाए गए।यूक्रेन के इस हमले की तुलना पर्ल हार्बर से की गई है।द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान के विस्फोटक लदे छोटे विमानों ने पर्ल हार्बर में तैनात अमेरिकी नौसेना के जहाजों की चिमनी में आत्मघाती हमले से तबाही मचा दी थी।इसके बाद अमेरिका को विश्वयुद्ध में कूदना पड़ा था।जेलेंस्की के मुताबिक यूक्रेन के ड्रोन हमले से 7 अरब डॉलर के 41 रूसी सैनिक विमान तथा 34 प्रतिशत क्रूज मिसाइल कैरियर नष्ट हो गए।
एयरफील्ड भी तबाह हुए।इस घातक हमले में यूक्रेन ने एआई संचालित ड्रोन का इस्तेमाल किया।युद्ध की तकनीक कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित हो गई है।यूक्रेन के पास नौसैनिक लड़ाई के लिए मागुरा नामक समुद्री ड्रोन भी है।चीन ने भी हाल ही में चिड़िया के समान दिखनेवाले ड्रोन ओर्नीथाप्टर बनाए हैं जो रडार की पकड़ में नहीं आते।फरवरी में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को व्हाइट हाउस में ट्रंप ने फटकारते हुए कहा था कि रूस के मुकाबले तुम में कुछ भी दम नहीं है।अब जेलेंस्की ने दिखा दिया कि वह रूस के भीतर 4000 कि.मी।तक घुसकर भारी तबाही कर सकता है।
यूक्रेन का स्पाइडर वेब हमला पुतिन के लिए जबरदस्त चुनौती है।इससे उनकी मजबूत छवि पर विपरीत असर पड़ सकता है।इसलिए माना जा रहा है कि रूस बड़ा जवाबी हमला करने से नहीं चूकेगा।युद्ध के वर्तमान तरीकों से यह तथ्य सामने आया है कि बहुत महंगे लड़ाकू विमानों की बजाय ड्रोन से हमला अधिक सटीक और किफायती पड़ता है।जब पुतिन और जेलेंस्की पीछे हटने को तैयार नहीं हैं तो पता नहीं यह विनाशकारी युद्ध कब तक चलेगा।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा