साल 2025 में होगा रक्षा क्षेत्र में विस्तार (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत विशेष: यद्यपि सरकार ने 2025 को रक्षा सुधार वर्ष घोषित किया है लेकिन देश की रक्षा सामग्री निर्माण इकाइयां विगत कुछ वर्षों से निरंतर इस दिशा में सक्रियता दिखा रही हैं. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का वादा निभाने का प्रयास जारी है. इतना ही नहीं देश में बने शस्त्रास्त्रों का निर्यात भी किया जा रहा है. कुछ दिनों पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने घोषित किया था कि भारत का शस्त्र निर्यात 21,000 करोड़ रुपए को पार कर गया है और शीघ्र ही 50,000 करोड़ रुपए को पार कर लेगा. रक्षा उत्पादन क्षेत्र में मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को सफलता मिली है. देश में परंपरागत शस्त्रों राइफल, मशीनगन आदि के अलावा टैंकों, मिसाइलों का निर्माण भी तेजी से होने लगा है. इस नए वर्ष में सेना के ढांचागत और रणनीतिक सुधार पर जोर दिया जाएगा।
एकीकृत कमांड थियेटर बनाकर सेना के तीनों अंगों को एक कमान के अधीन लाया जाएगा. ऐसा करने से युद्ध ही नहीं शांति के समय भी सेना में बेहतर सहयोग और तालमेल बना रहेगा. इससे लाजिस्टिक और सप्लाई चेन में सुधार होगा. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का उच्च पद निर्मित किया था. देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत थे. उनके विमान दुर्घटना में निधन के बाद जनरल अनिल चौहान यह पद संभाल रहे हैं।2025 में सेना के तीनों अंगों के बीच सहयोग के क्षेत्रों का और भी विस्तार होगा. इससे रक्षा क्षेत्र के नियोजन और रणनीतिक प्रबंधन में आशातीत प्रगति होगी। इस दिशा में पहले भी प्रयास जारी थे किंतु अब अधिक संगठित तरीके से काम होगा।
इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 9 सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की है जिसके अमल में आने के बाद देशवासियों को अपने रक्षा बलों पर काफी गर्व होगा. भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के अनुरूप सेना के प्रतीक चिन्हों में भी बदलाव किया जा रहा है. कुछ समय पूर्व नौसेना के प्रतीक चिन्हों में ऐसा ही गौरवपूर्ण परिवर्तन किया गया था. हर प्रकार से यह प्रयास होगा कि बेहतर तकनीकी मानदंडों के साथ रक्षा बल पहले से अधिक मजबूत बनें. राष्ट्रीय एजेंडा के तहत रक्षाबलों और आम जनता के बीच सुदृढ़ तालमेल बनाया जाएगा ताकि जन-मन में राष्ट्रीय सुरक्षा की भावना जागृत हो. समय की चुनौतियों के अनुरूप रक्षा क्षेत्र में यथोचित बदलाव और सुधार किए जा रहे हैं. विश्व की प्रमुख सेनाओं में भारतीय सेना का गौरवपूर्ण स्थान है जिसने देश की सीमाओं की रक्षा और दुश्मनों से मुकाबले के अलावा अंतरराष्ट्रीय शांति प्रयासों में भी अपना योगदान दिया है।
चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा लेख