Hindi news, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest Hindi News
X
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • धर्म
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • करियर
  • टेक्नॉलजी
  • हेल्थ
  • ऑटोमोबाइल
  • वीडियो
  • चुनाव

  • ई-पेपर
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • राजनीति
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • क्राइम
  • नवभारत विशेष
  • मनोरंजन
  • बिज़नेस
  • अन्य
    • वेब स्टोरीज़
    • वायरल
    • ऑटोमोबाइल
    • टेक्नॉलजी
    • धर्म
    • करियर
    • टूर एंड ट्रैवल
    • वीडियो
    • फोटो
    • चुनाव
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • क्राइम
  • लाइफ़स्टाइल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • राजनीति
  • बिज़नेस
  • ऑटोमोबाइल
  • टेक्नॉलजी
  • धर्म
  • वेब स्टोरीज़
  • करियर
  • टूर एंड ट्रैवल
  • वीडियो
  • फोटो
  • चुनाव
In Trends:
  • Tariff War |
  • Weather Update |
  • Aaj ka Rashifal |
  • Parliament Session |
  • Bihar Assembly Elections 2025 |
  • Share Market
Follow Us
  • वेब स्टोरीज
  • फोटो
  • विडियो
  • फटाफट खबरें

विशेष- हिंदी फिल्म डबिंग से तमिल निर्माताओं को लाभ, फिल्मों की कमाई का नया गणित

Film Industry- अगर ये तमिल फिल्मकार नहीं चाहते कि तमिल और हिंदी में किसी तरह का कोई सेतु बने, तो फिर ये अपनी फिल्में तमिल के साथ-साथ हिंदी में क्यों डब कराकर या नए सिरे से बनवाकर प्रदर्शित करते हैं।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Jul 25, 2025 | 02:55 PM

हिंदी फिल्म डबिंग से तमिल निर्माताओं को लाभ (सौ. डिजाइन फोटो)

Follow Us
Close
Follow Us:

नवभारत डिजिटल डेस्क: एस. शंकर तमिल फिल्मों के मशहूर डायरेक्टर हैं। उनकी सुपरहिट फिल्म ‘एंथिरन’ को साल 2010 में हिंदी में ‘रोबोट’ नाम से रिलीज किया गया था। इस साइंस फिक्शन ने जैसी कमाई तमिल भाषा में की थी, लगभग वैसी ही कमाई इसने हिंदी में भी की थी। तमिल के अन्य ऐसे फिल्मकारों में हैं-मणिरत्नम (रोजा, बॉम्बे, दिल से), लोकेश कनगराज (यूनिवर्स, कैथी, विक्रम), मुर्गदास (गजनी, थुपक्की, सरकार) और एटली (जवान)। ये सभी फिल्मकार अपने स्तर पर तमिल भाषा के जबर्दस्त समर्थक हैं। उनका मानना है कि तमिलनाडु में हिंदी के पढ़ाए जाने या बोले जाने की कोई जरूरत नहीं है।

अगर ये तमिल फिल्मकार नहीं चाहते कि तमिल और हिंदी में किसी तरह का कोई सेतु बने, तो फिर ये अपनी फिल्में तमिल के साथ-साथ हिंदी में क्यों डब कराकर या नए सिरे से बनवाकर प्रदर्शित करते हैं।सिर्फ तमिल ही नहीं एसएस राजा मौली जैसे तेलगू फिल्मकार भी अपनी ‘बाहुबली’ जैसी फिल्म को तेलगू के साथ-साथ हिंदी में भी प्रदर्शित करते हैं।तेलगू, कन्नड़ और दूसरी दक्षिण भाषाओं के फिल्मकार भी अपनी फिल्मों को अपनी भाषा के साथ-साथ हिंदी में प्रदर्शित करना चाहते हैं। ये इनकी कमाई का अपना गणित है.

पहले हिंदी भाषा विवाद आमतौर पर तमिल तक सीमित था, बीच-बीच में मराठी की हुंकार होती थी। लेकिन पिछले डेढ़ महीने से महाराष्ट्र में शुरू हुआ हिंदी विवाद अब असमी, कन्नड़, बांग्ला तक भी विस्तारित हो गया है और आशंका है कि यह अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी जल्द विस्तार ले सकता है। हिंदी बोलने वाले बहुसंख्यक गैरहिंदी भाषी इलाकों में गए हैं, वो मजदूर हैं। छोटे-मोटे काम धंधा करने वाले लोग हैं, क्या उनकी इतनी हैसियत है कि वो किसी गैरहिंदी भाषी इलाके में जाकर अपनी भाषा का रोब गांठ सकें? हकीकत ये है कि आम आदमी जब किसी गैरहिंदी भाषी इलाके में जाकर हिंदी बोलता है, तो उसकी जुबान से हिंदी निकलते ही वह दोयम दर्जे का नागरिक मान लिया जाता है।

जब एक हिंदी भाषी बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई, कोलकाता अथवा गुवाहाटी में हिंदी बोलता है, तो उसे छूटते ही भईया, बिहारी, नॉर्थ इंडियन या दिल्ली वाला कहकर एक ऐसा तमगा दे दिया जाता है, जिसका मतलब होता है कि उसकी स्थानीय लोगों के सामने कोई हैसियत नहीं है। क्या ऐसा व्यक्ति इन इलाकों में अपना कोई सांस्कृतिक वर्चस्व थोप सकता है?

मनोरंजन व विज्ञापन की भाषा

हिंदी नीचे से नहीं फैल रही, यह ऊपर से थोपी जा रही है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका गैरहिंदी भाषी कारोबारियों की है, उनके मुनाफा कमाने के लालच की है।देश में हिंदी बोलने वालों की तादाद बढ़कर 45 फीसदी हो चुकी है। मनोरंजन की भाषा के रूप में देखें तो हिंदी भाषा की पहुंच 55 फीसदी से ज्यादा है। यही कारण है कि चाहे ओटीटी की बात हो, चाहे यू-ट्यूब में पोस्ट किए जाने वाले कंटेंट की बात हो, चाहे फिल्मों की बात हो, टीवी प्रोग्राम्स की बात हो या विज्ञापनों की बात हो, हर जगह हिंदी का ही वर्चस्व देखने को मिलता है। 90 फीसदी से ज्यादा हिंदी फिल्म बनाने वाले निर्माता, निर्देशक या उसमें अभिनय करने वाले अभिनेताओं की हिंदी मातृभाषा नहीं है। हिंदी फिल्में सबसे ज्यादा पंजाबी, बंगाली, मराठी और गुजराती मातृभाषाएं बोलने वाले निर्माता निर्देशक बनाते हैं।

अभिनेताओं में से ज्यादातर की मातृभाषा पंजाबी होती है। हिंदी भाषियों की क्रयशक्ति 168 लाख करोड़ रुपये की है। करीब 400 ट्रिलियन की हो चुकी अर्थव्यवस्था में हिंदी भाषी लोगों की क्रयशक्ति की जो इतनी बड़ी हिस्सेदारी है, इसी क्रयशक्ति में हिस्सेदारी के लिए गैरहिंदी भाषी कारोबारी अपने प्रोडक्ट को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए हिंदी को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत की कुल जीडीपी में हिंदी बोलने और हिंदी समझने वाले लोगों की हिस्सेदारी 45 से 50 फीसदी तक है। यह अकारण नहीं है कि चाहे एफएमसीजी हों, चाहे मोबाइल डेटा हो, चाहे मनोरंजन हो, शिक्षा हो, डिजिटल एप्स हों, सभी के ज्यादातर कंटेंट हिंदी में ही क्यों होते हैं?

लेख- लोकमित्र गौतम के द्वारा

 

Tamil producers benefit from hindi film dubbing

Get Latest   Hindi News ,  Maharashtra News ,  Entertainment News ,  Election News ,  Business News ,  Tech ,  Auto ,  Career and  Religion News  only on Navbharatlive.com

Published On: Jul 25, 2025 | 02:20 PM

Topics:  

  • Entertainment
  • Special Coverage
  • Tamil Film Industry

सम्बंधित ख़बरें

1

Randeep Hooda: रणदीप हुड्डा को देखकर रोने लगी थी मां, किरदार के लिए खुद को बना लिया था कंकाल

2

Somy Ali: फैसल खान के सपोर्ट में सलमान खान की एक्स गर्लफ्रेंड, सोमी अली ने फैसल को बताया ईमानदार

3

Akanksha Puri: आकांक्षा पुरी ने कबीर बेदी को मारा ताना या दी शुभकामना, कन्फ्यूजन में फैंस

4

Faissal Khan: मौसी से मेरी शादी करवा रहा था परिवार, आमिर खान के भाई फैसल खान ने किया खुलासा 

Popular Section

  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़

States

  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्यप्रदेश
  • दिल्ली NCR
  • बिहार

Maharashtra Cities

  • मुंबई
  • पुणे
  • नागपुर
  • ठाणे
  • नासिक
  • सोलापुर
  • वर्धा
  • चंद्रपुर

More

  • वायरल
  • करियर
  • ऑटो
  • टेक
  • धर्म
  • वीडियो

Follow Us On

Contact Us About Us Disclaimer Privacy Policy
Marathi News Epaper Hindi Epaper Marathi RSS Sitemap

© Copyright Navbharatlive 2025 All rights reserved.