बंगाल में शिक्षकों की अवैध भर्ती रद्द (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: गत सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती घोटाले पर कड़ा रुख अपनाते हुए बंगाल के लगभग 25,000 सरकारी शिक्षकों व अन्य स्टाफ की नियुक्ति रद्द कर दी. यह विवाद जारी रहते सभी उम्मीदवारों की उत्तरपत्रिका नष्ट कर दी गई जो कि धांधली का प्राथमिक सबूत था। ऐसे 185 सहायक शिक्षकों को कक्षा 9 व 10 में पढ़ाने के लिए नियुक्त किया गया था जिनकी रैंक, नियुक्ति से वंचित रखे गए उम्मीदवारों से कम थी. ऐसे 1,498 लोग नियुक्त किए गए थे जिनके नाम किसी भी पैनल में तय नहीं किए थे। यह तमाम नियुक्तियां भ्रष्टाचार से की गई थीं।ममता बनर्जी की टीएमसी सरकार ने अवैध रूप से यह नियुक्तियां की थीं।
शिक्षक भर्ती घोटाले में बंगाल के शिक्षामंत्री पार्थो चटर्जी को ईडी व सीबीआई दोनों ने गिरफ्तार किया था। बंगाल हाईकोर्ट ने पहले ही सभी 25,000 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी थी। इस फैसले की सुप्रीम कोर्ट ने पुष्टि की. शिक्षकों के अतिरीक्त 25,000 पद निर्माण करने के राज्य मंत्रिमंडल के निर्णय की जांच करने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी. ऐसे अयोग्य व्यक्ति शिक्षक बनकर विद्यार्थियों का भविष्य बिगाड़ सकते थे, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इससे उबल पड़ीं. उन्होंने कहा कि क्या बंगाल में पैदा होना गुनाह हो गया।
बताइए मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाले के बाद कितने शिक्षकों को अपनी नौकरी खोनी पड़ी? बंगाल में लंबे कम्युनिस्ट शासन के दौरान की गई रिश्तेदारों की नौकरी क्यों नहीं समाप्त की गई? बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि जिन शिक्षकों की नियुक्ति सही और बेदाग है उन्हें सेवा में कायम रहने दिया जाए. उत्तरपुस्तिका नष्ट किए जाने से सही और गलत को पहचानना अदालत के लिए संभव नहीं था. आरोप है कि ममता सरकार ने योग्यता को ताक पर रखकर अपने चुने हुए निष्ठावानों को नौकरी में भर्ती किया. एक अन्य प्रकरण और भी हुआ. बंगाल विधानसभा ने एक बेतुका विधेयक पारित कर राज्य के उद्योगों को पिछले एक दशक में दिए गए प्रोत्साहन लाभ व अनुदानों को रद्द कर दिया. उद्योगों व कंपनियों को यह सारे लाभ और अनुदान सरकार को लौटाने को कहा गया है।
सरकार उद्योगों को इसलिए प्रोत्साहन सब्सिडी देती है ताकि रोजगार पैदा हों. ऐसा कहीं नहीं होता कि उद्योगों से सब्सिडी की रकम वापस मांगी जाए. यदि किसी कंपनी ने सरकार के खिलाफ कोर्ट में मामला जीत लिया है तो उसे भी निष्फल करने का इस कानून में प्रावधान किया गया है. मनमाने शाही फरमान की शैली में ममता बनर्जी सरकार चलाना चाहती हैं. ऐसे कानून व्यवसाय के लिए बुरे तथा रोजगार को हतोत्साहित करने वाले हैं।
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बंगाल सरकार ने बेतुकी दलील दी है कि उद्योगों को प्रोत्साहन के लिए दिया जानेवाला पैसा बचाकर उसका उपयोग जनहित में किया जाएगा. सिर्फ ममता की बात क्यों की जाए, केंद्र सरकार ने भी वोडाफोन पर पूर्वकालिक प्रभाव से टैक्स लगाया था. गत माह ममता बनर्जी ने विदेशी निवेश लाने के उद्देश्य से ब्रिटेन यात्रा की थी लेकिन यदि उद्योगों से सब्सिडी वापस वसूली जाएगी तो कौन सा निवेशक बंगाल में आएगा?