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नवभारत विशेष: एक बार फिर सुर्खियों में शर्टलेस प्रथा, केरल में ड्रेस कोड को लेकर सियासी बवंडर..!

शिवगिरी मठ, जिसे श्री नारायण गुरु ने स्थापित किया था, के प्रमुख सच्चिदानंद स्वामी ने मांग की है कि इस शर्टलेस प्रथा पर रोक लगायी जाये, यह मांग उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन से की है।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: Jan 14, 2025 | 01:36 PM

कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन फोटो)

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नवभारत डेस्क: केरल के गुरुवयूर मंदिर में परम्परा थी कि जो भी उसके भोजन कक्ष में लंगर खाने के लिए आये, उसके शरीर के ऊपरी हिस्से पर कोई कमीज (शर्ट) या कोई अन्य वस्त्र न हो ताकि उसका जनेऊ भोजन परोस रहे सेवादारों को दिखायी देता रहे। साल 1992 की बात है, एक व्यक्ति शर्ट पहनकर उन जनेऊवारी ब्राहमणों की पंगत में भोजन करने के लिए बैठ गया जिनके जिस्मों के ऊपरी हिस्से पर कोई वस्त्र नहीं था।

ब्राह्मण ऊडू (विशेष भोज) में अन्य जातियों का स्वागत नहीं था। इसलिए शर्ट पहने व्यक्ति को जबरन पंगत से निकाल दिया गया। इस परम्परा को चुनौती देने वाला शर्ट पहने व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि आध्यात्मिक गुरु व समाज सुधारक श्री नारायण गुरु के शिष्य स्वामी आनंद तीर्थन थे जो जातिगत भेदभाव के विरुद्ध अपने निरंतर संघर्ष हेतु विख्यात थे।

अगले दिन आनंद के साथ हुई अभद्रता की खबर सुर्खियों में थी। मंदिर प्रबंधकों व राज्य सरकार की जबरदस्त आलोचना हुई। तत्कालीन मुख्यमंत्री के करुणाकरण की त्वरित प्रतिक्रिया आयी। ऊट्ट प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया और उसी भोजन कक्ष में सामूहिक भोज का आयोजन किया गया, जिसमें करुणाकरण के साथ सभी जातियों के सदस्य शामिल थे।

दलित एक्टिविस्ट व लेखक कैलारा सुकुमारन ने भी इसमें हिस्सा लिया था। गुरुवायूर मंदिर में इस घटना के बाद भी अनेक मंदिरों में यह प्रथा जारी रही कि पुरुष श्रद्धालु मंदिर में बिना शर्ट के ही प्रवेश करें। इसलिए तीन दशक बाद एक बार फिर इस शर्टलेस प्रथा पर तीखी बहस आरंभ हो गई है। शिवगिरी मठ, जिसे श्री नारायण गुरु ने स्थापित किया था, के प्रमुख सच्चिदानंद स्वामी ने मांग की है कि इस शर्टलेस प्रथा पर रोक लगायी जाये, यह मांग उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन से की है।

धर्मशास्त्र से लेना देना नहीं

मठ प्रमुख का कहना है कि ड्रेस कोड का धर्मशास्त्रों या आध्यात्मिकता से कोई लेना देना नहीं है और यह केरल की जातिप्रथा का वीभत्स व अपमानजनक अवशेष है। स्वामी के अनुसार, ‘मंदिर और देवता माध्यम हैं जो श्रद्धालुओं को आकारहीन व नामरहित ईश्वर तक पहुंचने में मदद करते हैं। बाहरी आवरण या श्रद्धालुओं के ड्रेस कोड से इसका कोई संबंध नहीं है।

सिर्फ इस बात का महत्व है कि जब श्रद्धालु मंदिर में और देवता के सामने होता है तब उसके मन में क्या चल रहा होता है।’ स्वामी के अनुसार, इस प्रकार के ड्रेस कोड उन पुजारियों के अविष्कार थे जो गैर-ब्राह्मणों को मंदिरों से दूर रखना चाहते थे। सच्चिदानंद स्वामी की इस टिप्पणी के विरुद्ध श्री नारायण धर्म परिपालन (एसएनडीपी) के महासचिव वेल्लापल्ली नतेशान ने इस मामले पर जोर देते हुए कहा है कि इस तरह के मुद्दों से हिंदू समुदाय को विभाजित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

कुछ दिन पहले विजयन ने भी नारायण गुरु को सनातन धर्म से अलग साबित करने का प्रयास किया था। लेकिन अब उन्होंने स्वामी की मांग पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि ड्रेस कोड पर विराम मंदिर स्टेकहोल्डर्स में आम सहमति बनने के बाद ही लगाया जाना चाहिए, मुख्यमंत्री की संतुलित प्रतिक्रिया संभवतः इस कारण से थी क्योंकि सबरीमाला मंदिर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने पर उन्हें कड़वा अनुभव हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी आयु की महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति दे दी थी। इसका जबरदस्त विरोध हुआ था। अब यह मुद्दा फिर से सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

परंपरा कोई नहीं बदल सकता

केरल सरकार ने 1970 के दशक में भी ड्रेस कोड को हटाने का असफल प्रयास किया था। बहरहाल, स्वामी के प्रस्ताव पर विजयन के समर्थन ने विवादित रूप उस समय ले लिया जब नायर सर्विस सोसाइटी (एनएसएस) के महासचिव जी सुकुमारन नायर ने कहा कि मंदिर की परम्पराओं को सरकार सहित कोई भी नहीं बदल सकता।

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उनके अनुसार स्वामी को मंदिर प्रथाएं बदलने का कोई अधिकार नहीं है। हर मंदिर की अपनी प्रथा व परम्परा है और ड्रेस कोड उसका आवश्यक हिस्सा है। दूसरी ओर एनएसएस का विरोध करने वाले भी कम नहीं हैं। श्री नारायण धर्म परिपालन (एसएनडीपी), योगम के महासचिव वी नतेसन का कहना है कि ऐसे मुद्दों से हिंदू समुदाय को विभाजित न किया जाये। अनावश्यक पाबंदियों और खराब प्रथाओं को खत्म कर देना चाहिए, लेकिन परिवर्तन विस्तृत वार्ता व सहमति के बाद ही आना चाहिए, वह इस बात से सहमत नहीं हैं कि ड्रेस कोड ब्राह्मणों की पहचान करने के लिए लागू किया गया।

लेख- डॉ अनिता राठौर द्वारा

Shirtless practice in headlines once again political storm over dress code in kerala

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Published On: Jan 14, 2025 | 01:36 PM

Topics:  

  • Kerala
  • Kerala Temple

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