(डिजाइन फोटो)
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, चाहे राजनीति हो या सामान्य जनजीवन, वहां एक ही बात लागू होती है- जिसकी लाठी, उसकी भैंस! यूपी, बिहार के दबंग राजनेता अपने साथ लाठी चलानेवाले लठैतों की फौज पालते हैं।’’ हमने कहा, ‘‘क्या करेंगे हवा में लाठी भांज कर! वैसे भी सांप निकल जाने के बाद लाठी पीटने से कुछ नहीं होता। आप भी जमीनी हकीकत और चुनौतियों का सामना कीजिए। मिसाइल के जमाने में लाठी की बात मत कीजिए।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, लाठी की महिमा समझिए। लाठी से चलते समय सहारा मिलता है। कुछ लोग तो अपने बेटे के बारे में बड़े भरोसे से बताते हैं कि यही तो हमारे बुढ़ापे की लाठी है!’’
हमने कहा, ‘‘आप जवानी या बुढ़ापे की लाठी के फेर में मत पड़िए। इतना जान लीजिए कि जो डाका डालता है, वह डकैत और जो लाठी चलाता है वह लठैत।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सभी की लाठी एक समान नहीं रहती। महात्मा गांधी की लाठी अहिंसक थी। उसने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। बापू का प्रतीकात्मक चित्र सिर्फ उनके चश्मे के गोल फ्रेम और लाठी की आकृति से बनाया जा सकता है। उस लाठी को आप चाहें तो जादू का डंडा मान लें जिसे देखकर अंग्रेज भारत से भाग निकले।’’
यह भी पढ़ें- पत्नी को गिफ्ट लेने का शौक, ब्रिटिश पीएम नहीं पाए रोक
पड़ोसी ने कहा, ‘‘दूसरी तरह की लाठी रिजर्व पुलिस के पास होती है। इससे वह उपद्रवी भीड़ पर लाठीचार्ज करती है किंतु उसे हलका बेंत प्रहार या लाइट केन चार्जिंग बताती है। जब कोई नेता विपक्ष में रहता है तो मोर्चा निकालने पर लाठी खाता है और जब खुद सत्ता में आता है तो अपने विरोधियों पर लाठी चलवाता है। हमारे महान लोकतंत्र की मजबूती इसी तरह लाठी के जोर पर कायम रखी जाती है।’’
हमने कहा, ‘‘आप लाठी से संस्कृति का संबंध तोभूल ही गए। आरएसएस के हर स्वयंसेवक के पास लाठी होती है जिसे वह दंड कहता है। वह शाखा में जाकर इसके घुमाने की ट्रेनिंग लेता है और जब वर्ग शिक्षक बन जाता है तो नए स्वयंसेवकों को लाठी चलाने के पैंतरे सिखाता है।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हम जानते है कि लाठी की मजबूती और लोच के लिए उसे सरसों का तेल पिलाया जाता है। पशु चरानेवालों के लिए लाठी रखना जरूरी होता है। लाठी के साथ भैंस का जिक्र भी होता है। कुछ वर्ष पूर्व यूपी में अखिलेश सरकार के मंत्री आजम खान की भैंसे गुम गईं थी जिन्हें खोजने के लिए वहां की पुलिस की ड्यूटी लगाई गई थी।’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा