कोई महिला यूं ही नहीं रोती! खास तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती लड़ने और पदक जीतनेवाली महिला पहलवान का मनोबल कम नहीं होता लेकिन जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं और यौन शोषण होने लगे तो इसके विरोध में आवाज उठाना उसके लिए अपरिहार्य हो जाता है. निस्संदेह साक्षी मलिक (Sakshi Malik Quits Wrestling), विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने साहस व एकजुटता का परिचय देते हुए भारतीय कुश्ती संघ के तत्कालीन प्रमुख बृजभूषण शरणसिंह के खिलाफ आंदोलन किया था. जिसकी देश भर में चर्चा हुई थी. इतना होने पर भी महिला पहलवानों को न्याय नहीं मिल पाया. दबंगों की अपनी चौकड़ी होती है जो खेल संगठन को अपने कब्जे में रखते हैं और अपने खिलाफ उठनेवाली किसी भी आवाज को कुचलने के लिए तत्पर हो जाते है.
डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष पद पर संजय सिंह की जीत को बृजभूषशण शरण की जीत माना जा रहा है. बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाकर दिल्ली के जंतरमंतर पर बड़ा आंदोलन करनेवाले अंतरराष्ट्रीय पहलवानों को चुनाव के मैदान में बुरी तरह मात खानी पड़ी. कुश्ती महासंघ के चुनाव में डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह की विजय के बाद पहलवान बजरंग, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाई. इसमें साक्षी भावुक हो गई और उन्होंने कुश्ती त्यागने का ऐलान करते हुए अपने जूते उतारकर टेबल पर रख दिए.
उनकी आंखों में आंसू भर आए और वह वहां से चली गईं. साक्षी मलिक तथा उनके साथ आंदोलन करनेवाले पहलवानों के लिए चुनाव का नतीजा आघातकारी रहा. उन्होंने मांग की थी कि कुश्ती महासंघ में बृजभूषण या उनके परिवार का कोई भी सदस्य नहीं रहना चाहिए. केंद्रीय खेलमंत्री अनुराग ठाकुर ने वैसा आश्वासन भी दिया था. खेल मंत्रालय ने वादा किया था कि फेडरेशन में डब्ल्यूएफआई से अलग का कोई आदमी आएगा लेकिन यह वादा तोड़ दिया गया. बृजभूषण ने अपने निकटवर्ती संजय सिंह को चुनाव में उतारा. उनके खिलाफ आंदोलनकारी पहलवानों ने कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतनेवाली अनिता शेरोन को मैदान में उतारा. इस चुनाव का परिणाम अत्यंत निराशाजनक व एकतरफा रहा.
कुल 47 वोटों में से संजय सिंह को 40 वोट मिले जबकि अनिता को सिर्फ 7 वोट मिल पाए. पिछले जनवरी माह में पहलवानों ने साहस दिखाते हुए केसरगंज के बीजेपी सांसद और कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन किया था. उनके आरोपों की जांच करने के लिए एक समिति गठित की गई थी. इस समिति ने अप्रैल में अपनी रिपोर्ट पेश की जिसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया. इसके बाद खबर आई थी कि समिति ने बृजभूषण शरण सिंह को क्लीन चिट दे दी. विनेश फोगाट ने कहा कि संजय सिंह ब्रिजभूषण के दाहिने हाथ व बिजनेस पार्टनर हैं. अब उनके अध्यक्ष बन जाने से और भी महिला पहलवान उनकी शिकार होगी.
जून में जब पहलवानों ने अपना आंदोलन वापस लिया था तब खेलमंत्री अनुराग ठाकुर ने साक्षी, विनेश और बजरंग पूनिया को आश्वासन दिया था कि महासंघ के अध्यक्ष, महासचिव व कोषाध्यक्ष पदों के लिए लोगों का चयन करते समय उनकी बात को ध्यान में रखा जाएगा. तथ्य यह है कि एक स्वायत्त संस्था के चुनाव में सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती. ब्रिजभूषण और संजय सिंह का साथ पुराना है. 2008 में संजय सिंह वाराणसी जिला एसोसिएशन के अध्यक्ष थे. जब एक वर्ष बाद उत्तरप्रदेश रेसलिंग एसोसिएशन बना तो बृजभूषण शरण सिंह उसके अध्यक्ष और संजय सिंह उपाध्यक्ष बन गए थे.