(डिजाइन फोटो)
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हमें समय के बारे में बताइए। समय जानने के लिए अब लोग घड़ी की बजाय मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। महंगी से महंगी रिस्टवाच भी अब एक प्रकार की ज्वेलरी या एसेसरी बन गई हैं। ऐसा शोपीस जो लोगों को दिखाने के लिए है। स्मार्टवाच तो समय के अलावा आपका ब्लडप्रेशर और न जाने क्या-क्या बताती है। आपको याद होगा कि जब बीआर चोपड़ा का महाभारत सीरियल टीवी पर दिखाया जाता था तो उसकी शुरूआत हरीश भिमानी के यह कहने से होती थी- मैं समय हूं।’’
हमने कहा, ‘‘भिमानी को भूल जाइए, प्रधानमंत्री मोदी को याद रखिए। समय को लेकर मोदी ने धीर-गंभीर स्वर में कहा कि यह समय युद्ध का नहीं है।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हमें तो लगता है कि समय हमेशा युद्ध और संघर्षों का रहता है। रूस और यूक्रेन डेढ़ वर्ष से भी ज्यादा समय से लड़ रहे हैं। मध्य पूर्व में इजराइल की हमास, लेबनान, ईरान से लड़ाई चल रही है। विश्व में कहीं न कहीं युद्ध होते रहना अमेरिका की इकोनामी के लिए जरूरी है ताकि उसकी हथियार बनानेवाले उद्योगों को काम मिलता रहे। खुद अमेरिका भी समय-समय पर युद्ध में कूद जाता है। कोरिया युद्ध विएतनाम वार, अफगानिस्तान की लड़ाई, इराक में सद्दाम हुसैन का सफाया बताते हैं कि अमेरिका के लिए हर समय युद्ध का है।’’
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हमने कहा, ‘‘मोदी ने विवेक की बात कही है। युद्ध से बरबादी और विनाश होता है। विकास के लिए शांति आवश्यक है। इतने पर भी कोई समझने को तैयार नहीं है। यदि युद्ध न हो तो इतिहास फीका हो जाएगा। उसमें वीर राजाओं और योद्धाओं के नाम कैसे आएंगे? युद्ध को लेकर ही तो रामायण, महाभारत लिखे गए। भगवान कृष्ण ने भी पांडवों के दूत के रूप में दुर्योधन से कहा था कि युद्ध टालना हो तो 5 पांडवों को सिर्फ 5 गांव दे दो।’’
हमने कहा, ‘‘दुर्योधन ने जवाब दिया- केशव, बिना युद्ध के मैं सुई की नोक के बराबर भी जमीन नहीं दूंगा। सारे युद्ध जर (संपत्ति) जोरू (स्त्री) और जमीन के लिए हुए हैं और होते रहेंगे। युद्ध को भगवान भी नहीं रोक पाए। हिटलर का युद्धोन्माद अब पुतिन, जेलेंस्की, नेतन्याहू, हिजबुल्लाह के दिमाग पर सवार है। उनके लिए हर समय युद्ध और खूनखराबे का है।’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा