चुरा के वोट मेरा BJP चली, राहुल आरोप लगाते गली-गली (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, चोरी की रिपोर्ट थाने में तुरंत लिखवानी चाहिए। एक साल बाद चोरी की शिकायत करने में क्या तुक है? हरियाणा विधानसभा चुनाव में 25,00,000 वोट चोरी का आरोप राहुल गांधी अब लगा रहे हैं। 2024 से अब तक क्या वह सोए हुए थे?’ हमने कहा, ‘आपने कहावत सुनी होगी-जब जागे तभी सवेरा! बिहार चुनाव के वक्त बीजेपी और चुनाव आयोग को राहुल ने आड़े हाथ लिया। इसे कहते हैं- मौका देखकर चौका मारना!’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, चुनाव आयोग ने पहले भी कहा है कि राहुल आरोप लगाकर भाग जाते हैं। जब 2024 के चुनाव के पहले ड्राफ्ट मतदाता सूची आ गई थी तभी उन्होंने आपत्ति क्यों नहीं दर्ज कराई? अब इस तरह के आरोप लगाना अनुचित है। उन्हें शपथपत्र पर अपनी बात कहनी चाहिए।’ हमने कहा, ‘शपथपत्र की लिखा-पढ़ी क्यों? राहुल डंके की चोट पर वोट चोरी की बात कह रहे हैं। वह आरोप चुनाव आयोग पर लगाते हैं लेकिन इससे बीजेपी के नेता तिलमिला जाते हैं। राहुल को साहित्यिक हिंदी आती तो कह सकते थे चोर-चोर मौसेरे भाई!’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, चोर कौन नहीं है? आईएस जौहर की पुरानी फिल्म का नाम था हम सब चोर हैं। उसका गीत व्था- इस दुनिया में सब चोर-चोर, कोई छोटा चोर कोई बड़ा चोर तो कोई दिल का चोर ! इसी तरह फिल्म यादों की बारात का यह गीत मशहूर है- चुरा लिया है तुमने जो दिल तो, नजर नहीं चुराना सनम, बदलके मेरी तुम जिंदगानी, कहीं बदल ना जाना सनम !’ हमने कहा, ‘राहुल गांधी चाहे तो बीजेपी और चुनाव आयोग की तथाकथित मिलीभगत को निशाना बनाते हुए मुकेश का गीत गुनगुना सकते हैं- चोरी-चोरी जो तुमसे मिले तो लोग क्या कहेंगे, अजी इसे प्यार कहेंगे, अजी इसे प्यार कहेंगे!’
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सुनील शेट्टी ने शिल्पा शेट्टी के लिए गाया था- गोरिया चुरा ना मेरा जिया!’ हमने कहा, ‘जहां तक चोरी की बात है वह 64 कलाओं में से एक मानी जाती है। कुछ लोग साहित्यिक चोरी करते हैं और दूसरे की कविता-कहानी अपने नाम से छपवा लेते हैं। फिल्मों में अभिनय शैली की भी चोरी होती है। दिलीपकुमार के स्टाइल की कुछ-कुछ नकल राजेंद्रकुमार, मनोजकुमार और शाहरुख खान ने भी की थी। भगवान श्रीकृष्ण को उनके भक्त माखनचोर कहते हैं। वह गोपियों के चितचोर थे। हम तो कहते हैं कि जिस तरह ‘ज्वेल थीफ’ नामक फिल्म बनी थी वैसे ही ‘वोट थीफ’ नाम से मूवी बननी चाहिए।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा