आज का निशानेबाज (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, विपक्ष ने हमेशा की तरह मुख्यमंत्री की चाय पार्टी का बहिष्कार कर दिया. विधानमंडल सत्र की पूर्व संध्या पर सरकार चाय पार्टी का आयोजन करती है. शामियाना सजता है, कुर्सी-टेबल लगते हैं. इधर चाय बॉइल होती है, उधर विपक्ष का असंतोष उबलता है। प्रतिपक्षी नेता तय करते हैं कि हमें सरकारी चाय पीने की कोई चाह नहीं है।
सरकार चायपान से सत्कार करना चाहती है लेकिन विपक्ष उसका बायकाट या बहिष्कार कर देता है. न उसे सीएम की हाई टी चाहिए न ब्रंच. बिस्किट, पेस्ट्री, मिठाई सभी वैसे ही धरे रह जाते हैं. दार्जिलिंग के बागान की ऊंचे दर्जे की चाय की सुगंध भी विपक्ष को आकर्षित नहीं करती. चाय की मनभावनी महक बेअसर साबित होती है. हालत यह होती है कि सरकार को अपनी चाय खुद ही पीनी पड़ती है. इस समस्या का समाधान क्या है?’ हमने कहा, ‘सरकार विपक्ष को चाय की बजाय कॉफी या कोको पार्टी के लिए आमंत्रित कर सकती है।
यदि विपक्ष नहीं चाहता कि सरकार उसे चाय का कप थमाए तो शामियाने में सीधे चाय-काफी बनानेवाली आटोमेटिक मशीन लगा दी जाए और पेपर कप रख दिए जाएं. विपक्ष स्वावलंबी बनकर खुद ही चाय पी लेगा. इसके बाद भी शिकायत कर सकता है- पाउडरवाले दूध की मलाई मार गई, बाकी जो कुछ बचा था, महंगाई मार गई!’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, विपक्ष की सरकार से तकरार समस्याओं के अंबार की वजह से होती है. महाराष्ट्र में माहौल तप रहा है. चाय से ज्यादा गर्म केटली जैसी स्थिति है।
नवभारत विशेष से जुड़े सभी रोचक आर्टिकल्स पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
बजट सत्र में सरपंच संतोष देशमुख की हत्या, मंत्री धनंजय मुंडे के इस्तीफे के मुद्दे को लेकर विपक्ष सरकार को निशाने पर लेगा. मंत्री माणिकराव कोकाटे की सदस्यता के मुद्दे पर भी जवाब देना पड़ेगा. कानून-व्यवस्था की बदहाली को लेकर भी विपक्ष आक्रामक रहेगा. पुणे के स्वारगेट दुष्कर्म के बाद केंद्रीय मंत्री रक्षा खडसे की बेटी के साथ भी छेड़छाड़ का मामला सामने आया है. महिला सुरक्षा का मुद्दा काफी ज्वलंत है.’ हमने कहा, ‘जब मुद्दे इतने महत्वपूर्ण या अहम हैं तो गरम चाय की क्या जरूरत है. विपक्ष वैसे ही उबल पड़ेगा. बिल गेट्स अमेरिका से भारत आकर डॉली चायवाले की चाय पी सकते हैं लेकिन विपक्ष को सरकार की चाय की बिल्कुल दरकार नहीं है।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा