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विशेष: पुराने शस्त्रों से नए युद्ध नहीं जीते जा सकते, आधुनिक हथियार जरूरी

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा है, 'आज के युद्ध को आप कल के हथियारों से नहीं जीत सकते।आज के युद्ध आने वाले कल की टेक्नोलॉजी से ही लड़े जा सकते हैं।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Jul 18, 2025 | 01:36 PM

पुराने शस्त्रों से नए युद्ध नहीं जीते जा सकते (सौ. डिजाइन फोटो)

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नवभारत डिजिटल डेस्क: दुश्मनों पर बढ़त हासिल करने के लिए न सिर्फ अति आधुनिक हथियारों से लैस होने की आवश्यकता है बल्कि स्वदेशी रक्षा टेक्नोलॉजी की भी जरूरत है।इस बात पर बल देते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा है, ‘आज के युद्ध को आप कल के हथियारों से नहीं जीत सकते।आज के युद्ध आने वाले कल की टेक्नोलॉजी से ही लड़े जा सकते हैं.’ युद्ध के आधुनिक मैदानों में आउटडेटेड टेक्नोलॉजी पर भरोसा नहीं किया जा सकता।एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने 28 फरवरी 2025 को कहा था कि भारतीय वायु सेना को हर साल 35 से 40 फाइटर जेट्स जोड़ने की जरूरत है ताकि स्क्वाड्रन की संख्या में कमी को पूरा किया जा सके।

उन्होंने यह भी कहा था कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) ने वायदा किया है कि वह अगले साल 24 तेजस मार्क-1ए जेट्स का निर्माण करेगी।लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद 30 मई 2025 को वायु सेना प्रमुख सिंह ने इस तथ्य पर गहरी चिंता व्यक्त की कि कोई भी डिफेंस प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं होता है, निरंतर देरी होती रहती है।एक भी प्रोजेक्ट ऐसा नहीं है, जो वक्त पर पूरा हुआ हो।उन्होंने इस संदर्भमें जवाबदेही निर्धारित करने का आग्रह किया था।’हम ऐसा वायदा ही क्यों करते हैं जिसे पूरा नहीं किया जा सकता?’

दोनों सीडीएस व एयर चीफ मार्शल के बयानों से मालूम होता है कि सेना के तीनों अंगों को न सिर्फ आधुनिक हथियारों से लैस करने की जरूरत है बल्कि इन हथियारों की डिलीवरी भी समय पर होनी चाहिए।सीडीएस चौहान ने याद दिलाया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने 10 मई 2025 को अनआई ड्रोनों व लोइटर मुनिशन का इस्तेमाल किया था।

लेकिन ‘कोई भी वास्तव में भारतीय सेना या नागरिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को नुकसान नहीं पहुंचा सका और उनमें से अधिकतर को बेकार कर दिया गया था’।भारतीय सेना के लिए अमेरिका से 3 अपाचे अटैक हेलीकाप्टर्स की पहली खेप 21 जुलाई को आ जाएगी जो थल सेना की युद्ध क्षमता में वृद्धि करेगी।एएच-64ई जिन्हें ‘हवा में टैंक’ भी कहा जाता है।21 जुलाई 2025 को हिंडन एयर फोर्स स्टेशन पर डिलीवर किए जाएंगे।अनुमान यह है कि शेष तीन हेलीकॉप्टर इस साल के अंत तक डिलीवर कर दिए जाएंगे।इससे पहले 2015 में अमेरिका सरकार व बोइंग के साथ एक समझौते के तहत भारतीय वायु सेना ने 22 अपाचे खरीदे थे.

ड्रोन से हथियार भेज रहा पाकिस्तान

भारत को अपनी रक्षा व्यवस्था आधुनिक व मजबूत करने की जरूरत है और वह भी बहुत जल्द।पाकिस्तानी तस्करों ने अपनी नापाक हरकतें तेज कर दी हैं।वह ड्रग्स, हथियारों व गोला-बारूद से लैस ड्रोनों को भारत में बहुत अंदर तक पहुंचा रहे हैं।ऑपरेशन सिंदूर के दौरान थोड़े समय के लिए स्थगन के बाद ड्रोन-आधारित तस्करी अधिक सटीकता के साथ फिर आरंभ हो गई है।खबरें ये हैं कि चीनी ड्रोनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो अधिक ऊंचे उड़ते हैं, जिससे पकड़ में नहीं आते हैं।इसे मामूली तस्करी नहीं कहा जा सकता बल्कि यह सुनियोजित पाकिस्तानी आईसीएडी (अवैध, बलपूर्वक, आक्रामक व भ्रामक) स्ट्रेटेजी का हिस्सा है।

उद्देश्य यह है कि सीमा के इस पार जो आपराधिक तत्व हैं, उन तक ड्रग्स, बंदूकें व पैसा पहुंचाया जाए।यह भारत को नुकसान पहुंचाने का पाकिस्तान का पुराना तरीका है।पिछले सितंबर में पंजाब पुलिस की एक टीम ने नाटो-ग्रेड की बंदूकों का जखीरा बरामद किया था, जो संभवतः अफगानिस्तान से आया था,लेकिन उसका संबंध पाकिस्तान के ड्रोन ड्रॉप तस्करों से था।

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ऐसे ही हथियार कश्मीर में आतंकियों के पास से भी मिले थे।जब 2019 में धारा 370 को निरस्त किया गया, उसके बाद से ही पाकिस्तान से ड्रोन ड्रॉप्स आरंभ हुए।इसे काउंटर करने के लिए बीएसएफ ने एंटी-ड्रोन सिस्टम्स अपनाए, जैसे ड्रोनाम जो लेजर का इस्तेमाल करके पाक-मूल के यूएवी को नष्ट करते हैं।इसके अतिरिक्त विशिष्ट एंटी-ड्रोन टीमें भी गठित की गई हैं।लेकिन ड्रोन टेक्नोलॉजी इतनी बहुमुखी है कि वह निरंतर विकसित होती जा रही है।इसलिए सीडीएस चौहान कह रहे हैं कि हम अपनी ड्रोन टेक्नोलॉजी को लगातार बेहतर व आधुनिक करते रहें।आज ड्रोनों को मॉडिफाई कर इस तरह से ढाला जा सकता है कि वह पकड़ में न आएं।ड्रोन बहुत तेजी से बदल रहे हैं, एफपीवी से फाइबर ऑप्टिक हुए और अब उनका एआई रूप आता जा रहा है।इन हालात में आगे रहने का एकमात्र तरीका यही है कि ड्रोन टेक्नोलॉजी में बहुत अधिक निवेश किया जाए.

लेख- नरेंद्र शर्मा के द्वारा

New wars cannot be won with old weapons

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Published On: Jul 18, 2025 | 01:36 PM

Topics:  

  • Anil Chauhan
  • Defence Sector
  • Special Coverage

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