(डिजाइन फोटो)
पड़ोसी ने हमसे कहा, “निशानेबाज, जो लोग हर बात में नखरे करते हैं या व्यर्थ का एटीट्यूड दिखाते हैं, उनके लिए कहा जाता है नखरे में गरम मसाला ! हमें आज तक समझ में नहीं आया कि मसाला हमेशा गरम क्यों होता है? वह ठंडा क्यों नहीं होता?”
हमने कहा, “मसाला डालने से सब्जी, पुलाव स्वादिष्ट बन जाते हैं। मसाले की सुगंध खाने को टेस्टी बना देती है। आपने सुना होगा- चना जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार चना जोर गरम, मेरा चना बना है आला जिसमें डाला गरम मसाला, चना जोर गरम !”
पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, भारत की मसाला निर्माता कंपनियां संकट का सामना कर रही हैं। ब्रिटेन के बाद अमेरिका, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भारत के बड़े मसाला ब्रांड कड़ी जांच से गुजर रहे हैं और क्वालिटी व सेफ्टी स्टैंडर्ड पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर 474 मसाला सैंपल फेल हो गए हैं।”
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पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, जिन पश्चिमी देशों में लोग उबला खाना या बॉइल्ड फूड खाते हैं, उन्हें मसालों की क्या समझ ! अपने मसाले में लौंग, दालचीनी, काली मिर्च, बड़ी इलायची, धनिया, नागकेसर,तेजपत्ता, छड़ीला, कलमी वगैरह होते हैं। इन चीजों को भूनकर कूटा-पीसा जाता है तो सुगंधित गरम मसाला बन जाता है। इनमें से अधिकतर चीजें केरल में उपजती हैं। वास्को डि गामा नामक यात्री केरल से गरम मसाला यूरोप ले गया था। हमारा पाकशास्त्र मसाले के बिना अधूरा है। मसाले का सैंपल शायद इसलिए फेल हो रहा क्योंकि उसमें प्रिजर्वेटिव मिलाया जाता होगा। मसाले की चर्चा से हमारे दिमाग में जिंगल गूंजने लगी है- स्वाद-सुगंध का राजा बादशाह मसाला! असली मसाले सच-सच एमडीएच ! सुहाना और वाघमारे मसाले भी स्टोर में मिल जाएंगे।”
हमने कहा, “गरम मसाले को भूल जाइए, राजनीति पर ध्यान दीजिए जो हमेशा मसालेदार होती है।”
लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा