महाराष्ट्र के मंत्री (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, वी शांताराम की एक पुरानी फिल्म का लंबा नाम था जल बिन मछली, नृत्य बिन बिजली।उनकी एक अन्य फिल्म थी तीन बत्ती चार रास्ता!’ हमने कहा, ‘महाराष्ट्र के मंत्रियों का मन अशांत है और आप शांताराम की याद कर रहे हैं।यहां मंत्रियों को ने बिन पीए रहना पड़ रहा है।मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी मर्जी का पीए रखने से मंत्रियों को मना कर दिया है।उनका कहना है कि पीए निष्कलंक चरित्र का, सुशील, आदर्श, सिद्धांतवादी और स्वच्छ छवि वाला होना चाहिए।आखिर इतना गुणवान पीए मिले भी तो कैसे ? 5 महीने बीत गए, लेकिन मंत्रियों को पीए नहीं मिल पाएं.’
पड़ोसी ने कहा, ‘पीए या पिया किस्मत से मिलता है।जब फिल्म में हीरोइन को मनमाफिक पति मिल जाता है, तो वह खुशी से झूमकर गाने लगती है- मेरा पिया घर आया ओ रामजी !’ हमने कहा, ‘पिया मिलना आसान है, लेकिन पीए मिलना कठिन ! तिकड़मी या चालू किस्म का पीए मंत्री का दलाल बनकर उसे मालामाल कर देता है।हर मंत्री चाहता है कि उसे जुगाडू पीए मिले, जो पूरे टर्म में एटीएम का काम करे और ‘विटामिन एम’ का इंतजाम करता रहे।पीए या निजी सचिव मंत्री के साथ छाया की तरह लगा रहता है और उसके लिए माया जुटाता है।ठेकेदारों को टैकल करता है और डील करके पूरी सेटिंग जमा देता है.’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, प्रैक्टिकल किस्म का पीए अपने मंत्री की नस नस जानता है।वह मिनिस्टर का मुंहलगा होता है और आंखों के इशारे समझता है।उसे मालूम रहता है कि साहेब के ऐब कौन-कौन से हैं।कुशल पीए वह होता है, जिसने घाट घाट का पानी पिया हो।मंत्री के आधे से ज्यादा काम तो पीए ही निपटा देता है.किसकी फाइल लटकानी है और किस पर मंत्री का साइन लेना है, यह पीए ही तय करता है।
मंत्री के विभाग को सरकारी खजाने से निधि नहीं मिले तो भी चलेगा, लेकिन उसे घाघ किस्म का मनपसंद पीए जरूर चाहिए, जो रेत को भी हाथ लगाकर सोने के कण बना दे।टोल नाके का कमीशन तय करवा दे।सरकारी योजनाओं की लीकेज का फायदा उठाने का अमोघ मंत्र जानने वाला पीए ही मंत्री को विशेष प्रिय होता है।