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Maharashtra Assembly Elections: चुनाव में शिक्षकों के साथ सामंती रवैया क्यों?

EC ने महाराष्ट्र में गैर अनुदानित स्कूलों के शिक्षकों को आदेश जारी करके उनके लिए पोलिंग ड्यूटी ट्रेनिंग में उपस्थित होना अनिवार्य किया है। अगर कोई टीचर इस ट्रेनिंग में हिस्सा नहीं लेता तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की जायेगी।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: Oct 28, 2024 | 01:38 PM

(डिजाइन फोटो)

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नवभारत डेस्क: चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में गैर अनुदानित स्कूलों के शिक्षकों को एक आदेश जारी करके उनके लिए पोलिंग ड्यूटी ट्रेनिंग में उपस्थित होना अनिवार्य कर दिया है। यही नहीं यह चेतावनी भी दी गई है कि अगर कोई टीचर इस ट्रेनिंग में हिस्सा नहीं लेता तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जायेगी। अभी एक सप्ताह पहले ही बॉम्बे हाईकोर्ट में मुंबई के कुर्ला स्थित एक निजी उर्दू स्कूल की इस याचिका पर सुनवाई हुई है कि दीपावली की छुट्टियों के दौरान अध्यापकों को ड्यूटी पर क्यों लगाया जा रहा है?

यह कोई पहला मौका नहीं है, जब चुनावों में ड्यूटी को लेकर अध्यापकों और चुनाव आयोग के बीच तनाव पैदा हुआ है। पिछले कई वर्षों से कई अलग अलग चुनावों के दौरान इस तरह का तनाव देखने में आता रहा है। बावजूद इसके न तो केंद्र सरकार ने और न ही किसी राज्य सरकार ने, इस मामले में किसी स्थाई हल के बारे में सोचा है। सवाल है चुनाव कोई एक बार तो होने नहीं हैं, बार बार होने हैं और हमेशा होने हैं। ऐसे में आखिर देश में चुनावी प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए एक स्थाई स्टाफ क्यों नहीं होना चाहिए? सरकारी अध्यापकों पर चुनावी प्रक्रिया की जिम्मेदारी डालना क्या एक तरह से उन्हें ब्लैकमेल करना नहीं है?

अगर चुनावों के लिए स्थाई नहीं तो कम से कम एक अस्थाई व्यवस्था तो की ही जा सकती है। चुनाव सम्पन्न कराने के लिए 60 से 70 दिनों तक के लिए कुछ लोगों को अस्थाई रूप से अनुबंधित कर लिया जाए? इससे एक तरफ जहां काफी लोगों को इस भीषण बेरोजगारी के दौर में कुछ दिनों के लिए ही सही, रोजगार मिल सकता है, वहीं अध्यापकों या विभिन्न दूसरे क्षेत्र के कर्मचारियों को अपना काम करते रहने दिया जा सकता है। हमारे देश के अलावा दुनिया के दूसरे देशों में भी तो चुनाव होते हैं, लेकिन हिंदुस्तान की तरह किसी भी देश में चुनाव प्रक्रिया में अध्यापकों को नहीं लगा दिया जाता, जिससे कि वहां के छात्रों की नियमित पढ़ाई में खलल पड़े।

यह भी पढ़ें- ग्लोबल अस्थिरता के दौर में भारत-चीन का LAC समझौता अहम, बेहतर रिश्तों की उम्मीद के साथ इंडिया को बढ़ानी चाहिए अपनी ताकत

अगर विभिन्न राज्यों में नियमित अंतराल के बाद किसी न किसी तरह के चुनाव होते रहने के चलते अगर एक स्थाई चुनावी स्टाफ चुनाव आयोग के पास हो, तब तो इसका कहना ही क्या। इससे शिक्षकों और दूसरे सरकारी कर्मचारियों पर चुनाव के दौरान जो जिम्मेदारियों का बोझ डाल दिया जाता है, उसमें कमी होगी और स्थाई कर्मचारियों के होने से चुनाव प्रक्रिया भी बहुत कुशलता से सम्पन्न होगी।

अस्थायी स्टाफ नियुक्त किया जाएं

ऐसे में एक ही तरीका है कि क्यों न हर बार चुनावों के दौरान के लिए एक अस्थाई चुनावी स्टाफ की व्यवस्था की जाए, जैसा कि दुनिया के दूसरे लोकतांत्रिक देशों में होता है। चाहे अमेरिका हो या कनाडा, ऑस्ट्रेलिया हो या ब्रिटेन, हर जगह जहां एक नियमित अंतराल के बाद चुनाव होते हैं, वहां चुनावी प्रक्रिया को सम्पन्न कराने के लिए पहले तो बड़ी संख्या में स्वयंसेवक लगाये जाते हैं।

इसके साथ ही अस्थाई कर्मचारियों की भी एक बड़ी संख्या चुनावी ड्यूटी में लगती है। लेकिन ये अस्थाई कर्मचारी ऐसे बेरोजगार लोग होते हैं, जिन्हें चुनावों की ट्रेनिंग देकर कुछ दिनों की अस्थाई रोजगार की व्यवस्था की जाती है। पश्चिमी देशों में बड़े पैमाने पर ऐसे बेरोजगार लोग उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए यहां बड़े पैमाने पर स्वयं सेवकों को चुनावों के लिए तैयार किया जाता है और उन्हें इस दौरान कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं।

कुछ समय रोजगार मिलेगा

भारत में तो इतनी ज्यादा तादाद में लोग बेरोजगार हैं कि चुनावी व्यवस्था में हिस्सेदार बनकर कुछ दिनों के लिए रोजगार पाना भी उनके लिए एक बड़ी सुखद बात होगी और अगर ऐसे अस्थाई प्रशिक्षित चुनावी वालिएंर्ट्स को इसके लिए ठीकठाक भुगतान मिले, तो वह खुशी खुशी इसमें हिस्सा लेना पसंद करेंगे, साथ ही एक फायदा यह भी होगा कि ऐसे लोग बार बार चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेकर किसी हद तक चुनाव कराने में दक्ष भी हो जाएंगे। इस तरह हर पांच साल में कम से कम कुछ महीनों के लिए 10 से 15 लाख लोगों को रोजगार मिल सकता है और बाकी सभी राज्य स्तरीय चुनावों के लिए हमेशा देशभर में 2 से 3 लाख कर्मचारियों की जरूरत रहेगी।

लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा

Maharashtra assembly elections why feudal attitude towards teachers in elections

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Published On: Oct 28, 2024 | 01:38 PM

Topics:  

  • Election Commission
  • Maharashtra Assembly Elections

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