सत्र में उपेक्षित रह गए विदर्भ के प्रश्न (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: महाराष्ट्र विधानमंडल का शीत सत्र वार्षिक कर्मकांड की भांति समाप्त हो गया। नागपुर करार के मुताबिक इसमें विदर्भ के प्रश्नों पर चर्चा व निर्णय होने की उम्मीद बंधी रहती है लेकिन यह सारे मुद्दे पीछे छूट जाते हैं। सरकार ने पूरक मांगें तथा कुछ विधेयक मंजूर करवा लिए लेकिन इस सत्र में किसान आत्महत्या, अतिवृष्टि से फसल और जमीन के नुकसान पर चर्चा नहीं हुई। राज्य में प्रतिदिन औसत रूप से 8 किसान खुदकुशी करते हैं लेकिन इस गंभीर समस्या की अनदेखी कर दी गई। पृथक विदर्भ का मुद्दा भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। शायद बीजेपी अपने भुवनेश्वर अधिवेशन में पारित पृथक विदर्भ का मुद्दा पूरी तरह भूल चुकी है।
विदर्भ और मराठवाडा के विकास के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई। महाराष्ट्र बीजेपी के वरिष्ठ लेकिन असंतुष्ट नेता सुधीर मुनगंटीवार ने साफ कहा कि सरकार के आश्वासन साबुन के फेन की तरह गायब हो जाते हैं। सत्र के अंतिम दिन सरकार के कामकाज और भविष्य की योजनाओं का लेखा-जोखा पेश करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सत्ताधारी तथा विपक्षी सदस्यों के नामों का उल्लेख किया जिनमें पूर्व वित्त व वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार का नाम शामिल था। कृषि के लिए सौर ऊर्जा पंप योजना की सफलता के बारे में बताते हुए मुख्यमंत्री ने नदी का पानी खींचने के लिए बूस्टर पंप का उल्लेख किया और कहा कि सुधीर खुद एक बूस्टर हैं उन्होंने यह भी कहा कि चंद्रपुर से गड़चिरोली हवाई अड्डे तक जाने के लिए डेडीकेटेड सड़क बनाई जाएगी जिससे मुनगंटीवार को नागपुर की बजाय गड़चिरोली से विमान में बैठना संभव हो जाएगा।
इस सत्र में दोनों ही सदनों में विपक्ष का नेता नहीं था लेकिन पिछले 1 वर्ष से मंत्री पद से वंचित सुधीर मुनगंटीवार ने बार-बार सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने विदर्भ और मराठवाडा के वैधानिक विकास बोर्ड का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यदि हमारा प्रश्न हल नहीं करना है तो हुरडा पार्टी जैसा सत्र क्यों लिया जाता है? आप सभी अतिथि हैं, विदर्भ की मेहमाननवाजी सुपरिचित है परंतु आपका बर्ताव सही होना चाहिए। विजय वडेट्टीवार, जयंत पाटिल व भास्कर जाधव जैसे विपक्षी नेताओं ने भी सरकार के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाया।
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शिवसेना (उद्धव) के नेता भास्कर जाधव ने कहा कि यह सत्र विदर्भ के लोगों के साथ धोखा साबित हुआ। सरकार ने जो घोषणाएं कीं वे मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई के लिए थीं लेकिन विदर्भ के लिए एक घोषणा भी नहीं की गई। विदर्भ के धान, सोयाबीन, कपास उत्पादक किसान उम्मीद लगाए बैठे थे लेकिन उनकी उपेक्षा हुई। मुख्यमंत्री ने सत्र के अंतिम दिन अपनी सरकार की उपलब्धियां बताई तथा 2035 के अमृत महोत्सवी महाराष्ट्र और 2047 के विकसित महाराष्ट्र के लिए रोडमैप तैयार करने की जानकारी दी।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा