मुकेश अंबानी व गौतम अड़ानी (डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: हाल ही में जी-20 देशों के समूह ने आर्थिक विषमता से संबंधित रिपोर्ट पेश की जिसमें कहा गया कि भारत में अमीरों की तादाद बढ़ गई है। 2000 से 2023 के बीच भारत के सबसे धनवान 1 प्रतिशत लोगों की संपत्ति में 62 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी का देश है इसलिए कुछ लोगों का काफी संपन्न होना स्वाभाविक है लेकिन इसके विपरीत देश के 99 प्रतिशत लोगों की संपत्ति में सिर्फ 1 प्रतिशत वृद्धि हुई। इस तरह भारत में लोगों की आय के बीच काफी बड़ा अंतर है।
वस्तुतः सारे विश्व में अमीर-गरीब की खाई बढ़ रही है। 2000 से 2024 के बीच कमाई गई वैश्विक संपत्ति का 41 प्रतिशत हिस्सा 1 प्रतिशत अत्यंत संपन्न लोगों की झोली में गया है और 50 प्रतिशत से ज्यादा सामान्य लोगों को सिर्फ 1 प्रतिशत संपत्ति बढ़ी है।
दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में यह रिपोर्ट वैश्विक असमानता की ओर इशारा करती है। नोबल पुरस्कार विजेता जोसेफ स्टिलिट्ज के नेतृत्व में अध्ययन समूह ने यह रिपोर्ट तैयार की जिसमें कहा गया कि आर्थिक विषमता लोकतंत्र और पर्यावरण दोनों के लिए खतरनाक है।
रिपोर्ट के एशिया खंड में भारत और चीन की तुलना की गई है। भारत में 1 प्रतिशत लोगों की संपत्ति में यदि 62 प्रतिशत वृद्धि हुई है तो चीन में यह वृद्धि 54 प्रतिशत है। दोनों देशों में प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है। रिपोर्ट में कहा गया कि यदि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो असमानता को दूर किया जा सकता है। इसके लिए इंटरनेशनल पैनल ऑन इक्वालिटी नामक संस्था बनाने का सुझाव दिया गया।
भारत संपन्न लोगों के मामले में विश्व में चौथे स्थान पर है। 2024 में भारत में 85,698 धनकुबेर थे। 10 लाख डॉलर (लगभग 87 करोड़ रुपए) संपत्ति रखने वालों का इसमें समावेश है। इसके पूर्व 2023 में देश में ऐसे धनवान लोगों की संख्या 80,686 थी।
ऐसा अनुमान है कि 2028 तक भारत में अरबपतियों की संख्या में 9.4 प्रतिशत वृद्धि होकर वह 93,753 तक पहुंच जाएगी। 2024 में देश में अरबपतियों की संख्या में गत वर्ष की तुलना में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है-भारतीय अरबपतियों की कुल संपत्ति लगभग 82.6 लाख करोड़ रुपए है। अमेरिका अरबपतियों के मामले में पहले क्रमांक पर तथा चीन दूसरे क्रमांक पर है।
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मसिडीज हुरुन रिकार्ड के अनुसार 2021 में भारत में 4,58,000 करोड़पति थे जिनकी तादाद 2025 में 8,71,00 तक जा पहुंची। मुंबई में 1,42,000, दिल्ली में 68,000 तथा बेंगलुरु में 31,000 करोड़पति हैं। उनका धन जमीन और सोने में ही नहीं, पूंजी के तौर पर व्यवसाय में भी लगा है। दूसरी ओर दुनिया में 1.3 अरब लोग भारी गरीबी में रहने को विवश हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि यदि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो असमानता को दूर किया जा सकता है। इसके लिए इंटरनेशनल पैनल ऑन इक्वालिटी नामक संस्था बनाने का सुझाव दिया गया। भारत संपन्न लोगों के मामले में विश्व में चौथे स्थान पर है। 2024 में भारत में 85,698 धनकुबेर थे। 10 लाख डॉलर (लगभग 87 करोड़ रुपए) संपत्ति रखनेवालों का इसमें समावेश है।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा