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नवभारत विशेष: शेख हसीना को कब तक मिलेगा भारत का संरक्षण, क्या सुनाई जाएगी मौत की सजा

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही है। जहां पर उनकी अनुपस्थिति में ढाका में मुकदमा चलाया जा रहा है।उन पर 2024 के छात्र आंदोलन के हिंसक दमन का आरोप लगा है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Jun 03, 2025 | 12:11 PM

शेख हसीना (सौ. सोशल मीडिया)

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नवभारत डिजिटल डेस्क: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर उनकी अनुपस्थिति में ढाका में मुकदमा चलाया जा रहा है।उन पर 2024 के छात्र आंदोलन के हिंसक दमन, सामूहिक हत्या और नरसंहार का गंभीर आरोप लगाया गया है।उनकी सरकार के गृहमंत्री व आईजी पुलिस पर भी यही आरोप हैं।इस प्रकरण में शेख हसीना की फोन पर बातचीत, हेलीकाप्टर व ड्रोन के मूवमेंट तथा पीड़ितों के बयानों को आधार बनाया गया है।

वैसे भी बांग्लादेश की सरकार कोई भी आरोप गढ़ सकती है जिसके आधार पर शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई जा सके।मुद्दा यह है कि आरोपों पर अपनी सफाई देने के लिए शेख हसीना अदालत में मौजूद नहीं हैं।यदि वह रहतीं तो भी उनकी एक नहीं सुनी जाती क्योंकि इस्लामी देशों में सजा पहले ही तय कर ली जाती है और मुकदमे का नाटक किया जाता है।

समय रहते भारत आ गईं

बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी शेख हसीना के शासन काल में उनके भारत से अच्छे संबंध बने रहे।इस समय वहां भारत विरोधी ताकतें सत्तारूढ़ हैं।अपना तख्ता पलट होता देखकर शेख हसीना जान बचाकर भारत आ गई थीं और यहां उन्हें अज्ञात स्थान पर शरण दी गई है।यदि वह ढाका में रुकतीं तो उनकी हत्या हो सकती थी।यदि बांग्लादेश भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेगा तो इसका कोई आधार नहीं है क्योंकि वह तब बांग्लादेश के वैध पासपोर्ट पर भारत आई थीं और उनके पास भारतीय वीजा था।भारत उन्हें बांग्लादेश को सौंपने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य नहीं है।वह उन्हें अपनी राजनीतिक शरण में जब तक चाहे रख सकता है।लेखिका तस्लीमा नसरीन को भी भारत ने बांग्लादेश को नहीं सौंपा।वह अनेक वर्षों से यहां रह रही हैं।भारत शरणागत की रक्षा में विश्वास रखता है।

गंभीर आरोप लगाए गए

मुख्य अभियोजन ताजुल इस्लाम ने कहा कि शेख हसीना ने ढाका, चिटगांव व अन्य शहरों में छात्रों पर हिंसक दमनचक्र चलाया जिसमें बड़ी तादाद में लोगों की मौत हुई।सुरक्षा बलों ने छात्रों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं।एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी संस्थाओं ने बांग्लादेश में सत्ता के दुरुपयोग और प्रदर्शनकारियों पर अत्याचार की निंदा की थी।अब बांग्लादेश भारत विरोधी कट्टरपंथी ताकतों का अखाड़ा बन गया है।मुख्य सलाहकार के तौर पर बांग्लादेश की अस्थायी सरकार चला रहे नोबल प्राइज विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस लगातार पाकिस्तान और चीन से निकटता बढ़ा रहे हैं।उन्होंने तो चीन को यहां तक उकसाया था कि वह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों पर कब्जा कर ले और बांग्लादेश के चिटगांव बंदरगाह का समुद्री व्यापार के लिए इस्तेमाल करे।यूनुस ने पाकिस्तानी सेना के प्रतिनिधि मंडल की भी बांग्लादेश में खातिरदारी की।उन्होंने बांग्लादेश की करेंसी से शेख मुजीब की फोटो हटा दी और नए नोट जारी करवा दिए।

यूनुस चुनाव कराना नहीं चाहते

मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की सत्ता से चिपक गए है और चुनाव कराना टाल रहे हैं।ऐसे में सेना तथा जमात-ए-इस्लामी के साथ उनका टकराव होकर रहेगा।बांग्लादेश में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग प्रतिबंधित कर दी गई है।हसीना के समर्थकों पर चुन-चुन कर कार्रवाई की गई जिनमें सरकारी अधिकारी भी शामिल थे।बांग्लादेश में प्रतिशोध की राजनीति होती रही है।1971 के मुक्ति संग्राम में पाकिस्तानी सेना को सहयोग देनेवालों पर मुकदमा चलाने के लिए गठित न्यायाधिकरण ने जमाते इस्लामी व बीएनपी के नेताओं को मौत की सजा सुनाई थी।ऐसे में इस बात के भी आसार है कि शेख हसीना को उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई जा सकती है।बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने देश की सबसे बड़ी पार्टी जमात-ए-इस्लामी का रजिस्ट्रेशन बहाल कर दिया है जो 2013 में रद्द किया गया था।अब यह पार्टी चुनाव लड़ सकेगी।

लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा

How long will former bangladesh prime minister sheikh hasina get indias protection

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Published On: Jun 03, 2025 | 12:11 PM

Topics:  

  • Bangladesh
  • Sheikh Hasina

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