पाकिस्तान में बाल अधिकारों का दमन (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई जैसे अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों पर भयानक अत्याचार हो रहा है।उन्हें जबरन धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बनाए जाने की घटनाएं हो रही हैं।इन समुदायों की बालिकाओं का अपहरण कर उनका बूढ़े मुस्लिमों से निकाह करा दिया जाता है।यह बात स्वयं पाकिस्तान के बाल अधिकारों के राष्ट्रीय आयोग (एनसीआरसी) ने अपनी रिपोर्ट में कही।ऐसी हरकतों की वजह से पिछले कुछ दशकों में वहां हिंदू व ईसाई आबादी तेजी से घट गई है।अल्पसंख्यक समुदाय का जीना मुहाल हो गया है।दर्जनों गुंडे आकर किसी हिंदू या ईसाई का घर घेर लेते हैं और लड़की का अपहरण कर ले जाते हैं।
पुलिस भी ऐसे मामलों की अनदेखी करती है।पाकिस्तान के पंजाब व सिंध प्रांत में ऐसी घटनाएं ज्यादा हुआ करती हैं।क्रिश्चियन डेली इंटरनेशनल ने यह रिपोर्ट सार्वजनिक की ताकि वैश्विक समुदाय को पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के बुरे हालात के बारे में पता चल सके।पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जनवरी 2022 से सितंबर 2024 के बीच 547 ईसाई, 32 हिंदू, 2 अहमदिया व 2 सिख बालिकाओं का अपहरण हुआ।कानून लागू करने के प्रति लापरवाही तथा मुस्लिम समुदाय का भारी दबाव होने से अल्पसंख्यकों की कोई सुनवाई नहीं होती।पाकिस्तानी अधिकारी भी इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान नहीं देते।पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे कक्षा में पहली कतार में बैठने या सवाल पूछने की हिम्मत नहीं दिखा पाते।
उनके धर्म का मजाक उड़ाते हुए उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए कहा जाता है।पाकिस्तान की सरकारी रिपोर्ट ने इस तरह की हकीकत पेश की है।जब भारत का विभाजन कर 1947 में पाकिस्तान बनाया गया था तब वहां हिंदुओं की आबादी 25 प्रतिशत थी।अब यह आबादी बुरी तरह घटकर 1 से 2 प्रतिशत रह गई है।अन्य अल्पसंख्यक समुदायों का भी यही हाल है।पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिमों से बुरा बर्ताव किया जाता है।पाकिस्तान बनने के बाद वहां के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बीच समझौता हुआ था कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों का ध्यान रखा जाएगा।
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भारत ने तो इस वादे को निभाया लेकिन पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के प्रति लापरवाह और निर्मम बना रहा।हिंदुओं व ईसाइयों पर अत्याचार, अपहरण व जबरन धर्मांतरण होते रहे लेकिन पुलिस, अदालत या राजनेताओं ने इसकी जानबूझकर अनदेखी की।पाकिस्तान बनने पर वहीं रहनेवाले हिंदू व ईसाई जो भारत नहीं आ सके, लगातार जुल्म और भेदभाव का शिकार होते रहे।यह मानवाधिकार हनन है जिसे अपना आंतरिक मामला बताकर पाकिस्तान अपना बचाव नहीं कर सकता।भारत को यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाना चाहिए।पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव लाना जरूरी है ताकि वह अपने तौरतरीके सुधारे और अल्पसंख्यकों को न्याय और सुरक्षा मिल सके।