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ब्राजील में जी-20 सम्मेलन: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं ग्लोबल संस्थाओं में सुधार

ब्राजील की पहल 'भूख और गरीबी के विरुद्ध ग्लोबल गठबंधन' का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिओ में आयोजित दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन में विकासशील संसार के लिए भारत की चिंताओं को व्यक्त किया है।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: Nov 20, 2024 | 01:22 PM

नरेंद्र मोदी (डिजाइन फोटो)

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नवभारत डेस्क: ब्राजील की पहल ‘भूख और गरीबी के विरुद्ध ग्लोबल गठबंधन’ का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिओ में आयोजित दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन में विकासशील संसार के लिए भारत की चिंताओं को व्यक्त किया और कहा कि टकराव व युद्धों के कारण जो संकट उत्पन्न हो रहा है, उससे ग्लोबल साउथ के देशों पर फूड, फ्यूल व फर्टिलाइजर के संदर्भ में गहरा कुप्रभाव पड़ रहा है। इस बात के काले बादल छाये रहे कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को अपने हथियारों से रूस में गहराई तक वार करने की अनुमति दे दी है।

जी-20 के नेताओं ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया, जिसमें गाजा व यूक्रेन के लोगों को हिंसक टकराव के कारण हो रही तकलीफों को हाईलाइट किया गया और साथ ही क्लाइमेट चेंज, गरीबी उन्मूलन और कर नीति के सिलसिले में आपसी सहयोग पर बल दिया गया। बैठक के एजेंडा से स्पष्ट था कि अमेरिका में ट्रम्प की सत्ता में वापसी से जो ग्लोबल व्यवस्था में परिवर्तन संभावित है, उसको मद्देनजर रखते हुए सहमति बनाने का प्रयास किया गया है। व्यापार, क्लाइमेट व अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर इन नेताओं ने जो चर्चाएं कीं उससे जाहिर है कि अमेरिकी नीति में जो संभावित बदलाव आ सकता है, उससे बचने के लिए कमर कसी गई है।

ट्रम्प ने घोषणा की है कि है कि वाइट हाउस में पहुंचते ही वह टैरिफ से लेकर यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका के दृष्टिकोण को बदलेंगे, रिओ सम्मेलन में नेता इस बात पर सहमति बनाने में सफल रहे कि युद्धों के कारण ‘मानव पीड़ा’ बढ़ती जा रही है और इसके आर्थिक कुप्रभाव भी पड़ने लगे हैं। नेताओं के संयुक्त वक्तव्य में गाजा की ‘अमानवीय स्थिति’ पर भी ‘गहरी चिंता’ व्यक्त की गई और इस बात का आहवान किया गया कि वहां नागरिकों को तुरंत मदद व सुरक्षा उपलब्ध करायी जाये और पूर्ण युद्धविराम कराया जाये।

बिना दांत का शेर बन गईं

रिओ सम्मेलन में ‘सामाजिक समावेश और भूख व गरीबी के विरुद्ध संघर्ष’ विषय पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लोबल संस्थाओं में सुधार लाने की आवश्यकता पर भी ध्यानाकर्षित किया और कहा कि जी-20 इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु कार्य करेगा। उन्होंने कहा, ‘जिस तरह से हमने नई दिल्ली सम्मेलन के दौरान हमने अफ्रीकन यूनियन को जी-20 की सदस्यता देकर ग्लोबल साउथ की आवाज को मजबूत किया, उसी तरह से हम ग्लोबल प्रशासन की संस्थाओं में सुधार लायेंगे।’

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अधिकतर ग्लोबल संस्थाएं, दरअसल, बिना दांत का शेर बनकर रह गई हैं, जिनसे न कोई डरता है और न कोई उनकी बात सुनता है। इसी वजह से दुनियाभर में संकट बढ़ते जा रहे हैं। इजराइल ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के फिलिस्तीन में जाने पर रोक लगा दी और वहां मानवीय मदद भी नहीं पहुंचने दे रहा है। मोदी ने अपने भाषण में इस बात पर भी बल दिया कि जी-20 की वार्ताएं तभी सफल हो सकेंगी जब ग्लोबल साउथ की चुनौतियों व प्राथमिकताओं को ध्यान में रखा जायेगा।

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आज जब संसार फिर से दो खेमों में विभाजित हो गया है, जिसमें एक तरफ अमेरिका व यूरोप के नाटो देश हैं और दूसरी तरफ रूस, चीन व ईरान का त्रिकोण है, तो भारत की कोशिश ग्लोबल साउथ को तीसरे तटस्थ खेमे के रूप में खड़ा करने की है। यह एक तरह से गुट निरपेक्ष आंदोलन 2.0 हो सकता है। इसकी जरूरत से इंकार भी नहीं किया जा सकता।

दरअसल, भूख और गरीबी, जिनसे लड़ने पर सम्मेलन में अधिक फोकस किया गया, की समस्या ग्लोबल साउथ के देशों में ही अधिक है, जिसके समाधान के लिए यह भी जरूरी है कि ग्लोबल संस्थाओं के प्रशासनिक तरीकों में सुधार लाया जाये, मोदी ने कहा कि दिल्ली जी-20 सम्मेलन में जो जन-केंद्रित निर्णय लिए गए थे, उन्हें ब्राजील की अध्यक्षता के दौरान आगे लेकर चला गया है और यह अत्यंत संतोषजनक है कि जी-20 ने एसडीजी लक्ष्यों को प्राथमिकता दी है। मोदी ने कहा, ‘हमने समावेशी विकास पर फोकस किया, महिलाओं के नेतृत्व में विकास और युवा शक्ति को प्रोत्साहित किया।’

लेक- शाहिद ए चौधरी द्वारा

G 20 summit in brazil indian prime minister narendra modi wants reforms in global institutions

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Published On: Nov 20, 2024 | 01:22 PM

Topics:  

  • Brazil
  • G-20 Summit
  • Narendra Modi

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