महान फुटबालर की यात्रा (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, विश्व के महान फुटबाल खिलाड़ी मेस्सी भारत आए लेकिन कोलकाता और मुंबई में उनके फैन तरसते रह गए कि उन्होंने फुटबाल खेलकर अपना करिश्मा या कौशल नहीं दिखाया।’ हमने कहा, ‘प्रोफेशनल या पेशेवर खिलाड़ी मुफ्त में हर कहीं अपनी प्रतिभा या हुनर का प्रदर्शन नहीं करते। वे सिर्फ दर्शन देते हैं। आपने भगवान दादा और गीता बाली की पुरानी फिल्म ‘अलबेला’ का गाना सुना होगा- भोली सूरत दिल के खोटे, नाम बड़े और दर्शन छोटे!’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, अपने देश में अर्जुन ने धनुषबाण हाथ में लिया तो गुरू द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह पर भी तीर चलाने में पीछे नहीं रहे। क्षत्रिय एक बार म्यान से तलवार निकाल ले तो चलाए बिना उसे वापस म्यान में नहीं डालता। मेस्सी को क्या हुआ? फुटबाल सामने देखकर खेलने का मन क्यों नहीं मचला? वह जोर से किक मारने, पास देने, सिर से टक्कर मारने, प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों को छका कर गोल करने जैसे अपने फन का प्रदर्शन कर अपने हजारों फैन को खुश कर सकते थे। बहुत महंगा टिकट लेकर स्टेडियम आए उनके प्रशंसकों को क्या मिला? मेस्सी ने अपने चहेतों की चाहत पूरी क्यों नहीं की?’ हमने कहा, ‘मेस्सी गोट हैं। गोट का मतलब बलि का बकरा मत समझना अंग्रेजी में जीओएटी अक्षरों का मतलब होता है। ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम। इसे शुद्ध हिंदी में आप सर्वकालिक महान खिलाड़ी कह सकते हैं।
ये भी पढ़ें– नवभारत विशेष के लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें
कोलकाता के साल्टलेक स्टेडियम में अर्जेंटीना के हीरो मेस्सी को देखने 60,000 से ज्यादा प्रशंसक हजार मील की यात्रा कर पहुंचे थे। मगर वीआईपी व उनके परिवारजनों ने मेस्सी को इस तरह घेर लिया कि दर्शकों को वह दिखाई ही नहीं दिए। इससे नाराज होकर लोगों ने स्टेडियम में जमकर तोड़फोड़ की। मुंबई में ऐसा उपद्रव नहीं हुआ। मेस्सी-मेस्सी के नारे से वानखेड़े स्टेडियम गूंज उठा। मेस्सी के फुटबाल नहीं खेलने की वजह समझ लीजिए। उनका बाएं पैर का बीमा 900 मिलियन डॉलर का है। यह बीमा सुरक्षा सिर्फ फीफा द्वारा मान्यता प्राप्त मैचों के लिए है। शौकिया फुटबाल खेले और चोट लग गई तो एक पैसा भी नहीं मिलेगा। इसलिए मेस्सी हर जगह नहीं खेलते। सिर्फ अपना चेहरा दिखाते हैं।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा