देश के करीब 6 करोड़ कर्मचारियों की बचत को सरकार ने बड़ा झटका दिया है. EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) ने PF में जमा राशि पर ब्याज की दरेंं वर्ष 21-22 में 8.5 प्रश से घटाकर 8.1 प्रश कर दिया है. अब यह निर्णय वित्त मंत्रालय के पास जाएगा. सरकार को इस फैसले के कारण कर्मचारियों के संगठनों की ओर से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ेगा. कर्मचारी संगठनों के जो प्रतिनिधि बोर्ड में सदस्य हैं, वे लगातार 8.5 प्रश ब्याज दर को बरकरार रखने की मांग कर रहे थे. बल्कि जब वर्ष 19-20 के लिए ब्याज दरों को 8.65 प्रश से घटाकर 8.5 प्रश किया गया था, तब भी उन्होंने विरोध किया था.
अभी कर्मचारियों की ओर से यह चिंताएं उठाई जा रही हैं कि दुनिया में जिस रफ्तार से पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें बढ़ रही हैं, उसका असर जल्दी ही घरेलू महंगाई दर पर भी पड़ेगा. ऐसी स्थिति में लोगों के पास बचत के लिए धन पहले ही कम होगा. अब ब्याज दरों में इतनी कमी के कारण बचत दर पर और भी विपरीत असर होगा. बोर्ड के अध्यक्ष श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव इन चिंताओं को खारिज जरूर कर रहे हैं और उनका तर्क है कि भारतीय स्टेट बैंक की बचत दर तो 5.4 प्रश ही है. बाजार में दूसरी बचत दरें भी 6 प्रश के आसपास ही हैं. PPF जैसे बचत उपकरणों में भी ब्याज दरें 6.8 से 7.1 प्रश के बीच ही हैं. इसलिए सरकार मौजूदा 8 प्रश ब्याज दर को भी अच्छा मानती है.
सरकार का एक तर्क यह भी अक्सर रहता है कि PF की ब्याज दरों को बाजार से बहुत ज्यादा ऊंचा नहीं रखा जा सकता. उसमें एक तर्कसम्मतता होना लाजिमी है. सरकार का एक तर्क यह भी है कि इस समय दुनिया में आर्थिक हालात मुश्किल हैं. आप ज्यादा जोखिम वाली जगहों पर PF का धन नहीं लगा सकते. जब आप सुरक्षित माध्यमों में धन निवेश करते हैं तो स्वाभाविक रूप से प्रतिफल कम मिलेगा. रूस और यूक्रेन युद्ध से पहले ही कई फंड मैनेजरों ने अपनी इक्विटी बेच दी है. लिहाजा EPFO पर भी ब्याज दरें कम करने का दबाव था. फिलहाल 6 करोड़ कर्मचारियों के लिए यह एक नुकसान है, लेकिन PF जैसे सुरक्षित उपकरण में 8 फीसदी ब्याज दर को मौजूदा पूंजी बाजारों में गिरावटों को देखते हुए बुरा भी नहीं कहा जा सकता.
जैसी कि उम्मीद थी, विधानसभा चुनाव खत्म होते ही सरकार सख्त फैसलों की घोषणाएं शुरू करेगी, यह सिलसिला प्रॉविडेंट फंड (PF) से शुरू हो गया, हालांकि PF की ब्याज दरों की घोषणा हर साल मार्च में ही होती है, लेकिन ब्याज दरें घटाने का फैसला अक्टूबर में ही हो गया था. EPFO ने ब्याज दरों को 8.5 प्रश से घटाकर 8.1 प्रश पर ला दिया है. अहम बात है कि यह पिछले 40 साल में सबसे कम ब्याज दरें हैं. इससे पहले 1977-78 में EPFO ने ब्याज दरें 8 प्रश तय की थीं.