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आर्थिक सुधारों के पुरोधा थे मनमोहन सिंह, रखी थी विश्व बैंक और आईएमएफ के साथ मजबूत रिश्तों की नींव

देश के 14वें प्रधानमंत्री और भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारवाद के जनक डॉ. मनमोहन सिंह को पूरी दुनिया भारत में आर्थिक सुधारों के लिए जानती है। अब एक बार फिर देश उनके योगदान को याद कर रहा है।

  • By अभिषेक सिंह
Updated On: Dec 28, 2024 | 04:48 PM

डॉ. मनमोहन सिंह (डिजाइन फोटो)

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नवभारत डेस्क: देश के 14वें प्रधानमंत्री और भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारवाद के जनक डॉ. मनमोहन सिंह को पूरी दुनिया भारत में आर्थिक सुधारों के लिए जानती है। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोला और साहसिक आर्थिक सुधार किए। राजनीति के दांवपेंच में माहिर नेताओं से बिल्कुल अलग सक्षम व्यूरोक्रेट, विश्वस्तरीय अर्थशास्त्री व सीधे-सरल व्यक्ति के रूप में उनकी पहचान थी। तब आरोप था कि सारे अहम निर्णय सोनिया गांधी लिया करती थीं। प्रणब मुखर्जी की तुलना में सोनिया का भरोसा मनमोहन सिंह पर अधिक था।

डॉ. मनमोहन सिंह ने वित्तमंत्री और प्रधानमंत्री होने के पहले ही अन्य पदों पर रहते हुए भी अर्थव्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन करने वाले काम किये थे। उन्होंने हरित क्रांति का आर्थिक मॉडल तैयार किया था। उनकी सलाह पर ही कृषि में निवेश और न्यूनतम समर्थन मूल्य की नीति को लागू किया गया था। ये डॉ. मनमोहन सिंह ही थे, जिन्होंने भारत की पांचवीं पंचवर्षीय योजना को (1974-1979) को आकार देते हुए इसे औद्योगिक और निर्यात केंद्रित बनाया।

1982 से 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में उन्होंने जो व्यवहारिक और प्रभावशाली काम किये, उसमें भी अनेक इतिहस बदल देने वाली उपलब्धियां रही हैं। भारत में ग्रामीण बैंकों का विस्तार उन्हीं के आरबीआई गवर्नर रहते हुए हुआ और ग्रामीण क्षेत्रों को कर्ज और वित्तीय सहायता को प्राथमिकता के दायरे में लाया गया। उन्होंने कृषि और छोटे उद्योगों के लिए सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज उपलब्ध कराये जाने की नीतियां लागू की।

उन्हीं के गर्वनर रहते हुए भारतीय निर्यात- आयात बैंक (एग्जिम बैंक) की स्थापना हुई मजबूत बैंकिंग प्रणाली सुनिश्चित हुई, उनके द्वारा बनाये गए नीतिगत ढांचे ने बैंकों को जवाबदेह… डॉ. मनमोहन सिंह ने स्वर्ण मुद्रीकरण योजना यानी गोल्ड मोनेटाइजेशन की शुरुआत की और इस तरह विदेशी मुद्रा भंडार बुनियादी रूप से मजबूत होने लगा, जो आज भारत को दुनिया के अग्रिम पंक्ति के विदेशी मुद्रा सम्पन्न देशों में खड़ा करता है।

ओबामा बहुत इज्जत करते थे

डॉ. मनमोहन सिंह ने वित्तमंत्री और प्रधानमंत्री रहते हुए सुधारों की जो लंबी लकीर खींची। उसका प्रभाव सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि समूची विश्व की अर्थव्यवस्था में पड़ा है, इसीलिए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रधानमंत्री डॉ। मनमोहन सिंह की बहुत इज्जत करते थे। ओबामा बार-बार एक बात कहते थे कि जब डॉ। मनमोहन सिंह बोलते हैं तो पूरी दुनिया सुनती है। लेकिन हम उनके प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रहने के अलावा भी भारतीय अर्थव्यवस्था में किये गए ऐतिहासिक योगदानों की अनदेखी नहीं कर सकते।

हकीकत यह है कि वित्त मंत्री या प्रधानमंत्री होने के पहले ही उन्होंने अपने सुधारों की अप्रत्यक्ष धारा बहा दी थी। योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहते हुए 1985-87 में उन्होंने सही मायनों में भारतीय अर्थव्यस्था को उदारीकरण और वैश्वीकरण की ओर ले जाने की नींव रखी थी। इसी दौरान उन्होंने निर्यात को बढ़ावा देने और औद्योगिक विकास को प्राथमिकता देने का लक्ष्य भारतीय अर्थव्यवस्था के कोर में शामिल किया था।

विश्व बैंक से मजबूत रिश्ते

आज विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष भारत को दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण देशों में गिनता है और भारत की साख को बहुत महत्व देता है। लेकिन यह ऐसा न होता अगर डॉ. मनमोहन सिंह ने इसके लिए वित्तमंत्री या प्रधानमंत्री रहने के बहुत पहले ही योजना आयोग के उपाध्यक्ष के तौरपर आईएमएफ और विश्व बैंक से भारत के मजबूत रिश्तों की नींव न रखी होती।

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डॉ. मनमोहन सिंह अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के अर्थशास्त्री और शिक्षाविद थे, उन्होंने कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त की थी और यहां रहते हुए एक छात्र के रूप में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया था। डॉक्टरेट के लिए लिखा गया उनका शोध प्रबंध ‘इंडियाज एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पैक्ट फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ’ में वास्तव में वही सब कहा और लिखा गया है, बाद में जिसे उन्होंने व्यवहारिक रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था में आजमाया।

(लेख लोकमित्र गौतम द्वारा)

Dr manmohan singh was pioneer of economic reforms in india

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Published On: Dec 28, 2024 | 04:40 PM

Topics:  

  • Manmohan Singh

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