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संपादकीय: केदारनाथ त्रासदी से लें सबक, चारधाम यात्रा में बरती जाए सावधानी

2013 की केदारनाथ त्रासदी की याद दिलाते हुए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने चेतावनी दी है कि केदारनाथ और बदरीनाथ घाटियां एक दिन में 12,000 से 15,000 तीर्थयात्रियों का सुरक्षित समावेश कर सकती है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Apr 25, 2025 | 12:47 PM

चारधाम यात्रा में बरती जाए सावधानी (सौ. डिजाइन फोटो)

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नवभारत डिजिटल डेस्क: पर्यावरण वैज्ञानिकों व आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हिमालय इतनी अधिक इंसानी हलचल बर्दाश्त नहीं कर सकता।2013 की केदारनाथ त्रासदी की याद दिलाते हुए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने चेतावनी दी है कि केदारनाथ और बदरीनाथ घाटियां एक दिन में 12,000 से 15,000 तीर्थयात्रियों का सुरक्षित समावेश कर सकती है लेकिन यात्रा मौसम में वहां रोज 40,000 यात्री जा रहे हैं।

इतने लोगों और उनके वाहनों की आवाजाही में वृद्धि से वहां अचानक जमीन खिसकने (लैंडस्लाइड) और बेहद तेजी से बाढ़ आने का खतरा बढ़ गया है।नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट का कहना है कि हिमालय की चट्टानें कमजोर, भुरभुरी व नाजुक हैं।वहां बारूदी विस्फोट से चट्टानें तोड़कर सड़क चौड़ी करना, भारी निर्माण कार्य और बढ़ती पर्यटन गतिविधियां प्राकृतिक आपदा ला सकती हैं।सारे दिन हेलीकाप्टर की आवाज से भी पहाड़ में कंपन होता है।आईआइटी रुड़की ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले 5 वर्षों में भूस्खलन में 27 फीसदी वृद्धि हुई है।भूमि का क्षरण होने के साथ जलस्रोत सूखते जा रहे हैं।

इसके अलावा वहां हजारों टन कचरे के ढेर लग रहे हैं।यात्री वहां प्लास्टिक की बोतलें, रैपर, गुटखा पाउच तथा गंदगी छोड़ आते हैं।इससे नदी, जंगल व गांव प्रदूषित होते जा रहे हैं।यद्यपि 1,300 किलोमीटर लंबे चारधाम यात्रा मार्ग पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं लेकिन वह सिर्फ स्थानीय आबादी की जरूरतों के हिसाब से हैं।यात्रियों की तादाद बढ़ने से नदी में सीवेज मिलता है और प्रदूषण बढ़ता चला जाता है।राज्य सरकार डिजिटल रजिस्ट्रेशन व ई-पास के जरिए तीर्थयात्रियों की आवाजाही पर नियंत्रण करती है लेकिन राजनीतिक दबाव या प्रशासन की लापरवाही के चलते व्यवस्था गड़बड़ा जाती है।भीड़ पर नियंत्रण नहीं रहने से हादसे की आशंका बनी रहती है।

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हिमालय सिर्फ धर्मस्थलों तक ही सीमित नहीं है।वहां प्राकृतिक सौंदर्य देखने बड़ी तादाद में सैलानी आते हैं।फूलों की घाटी तथा जैव विविधता के प्रति उनका आकर्षण रहता है।कुछ वर्ष पहले जोशीमठ में जमीन धंसने और मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ने की घटना हुई थी।बेहतर सड़क नेटवर्क, ठहरने की सुविधा, हेलीकॉप्टर सेवा की वजह से तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ी है।पूरे सीजन में लाखों लोग वहां जाते हैं।इससे पर्यावरण संबंधी चिंता बढ़ गई है।

लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा

Caution should be taken in chardham yatra

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Published On: Apr 25, 2025 | 12:47 PM

Topics:  

  • Chardham Yatra
  • Kedarnath Dham
  • Special Coverage

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