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नवभारत विशेष: भारत के लिए अच्छी जस्टिन ट्रूडो की विदाई, कई देशों से लिया पंगा

2015 से कनाडा के प्रधानमंत्री का पद संभाल रहे टुडो सिर्फ भारत से ही नहीं कई दूसरे देशों से भी बेमतलब पंगा लेने के आदी ये। अमेरिका जैसा पड़ोसी भी टूडो से खुश नहीं था।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: Jan 08, 2025 | 04:44 PM

जस्टिन ट्रूडो (डिजाइन फोटो)

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नवभारत डेस्क: पिछले कई महीनों से अपनी पार्टी के भीतर ही अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे कनाडा के प्रधानमंत्री और सत्ताधारी लिबरल पार्टी के मुखिया जस्टिन टूडो ने अपनी पार्टी के नेता पद से और प्रधानमंत्री के पद से भी इस्तीफा दे दिया। हालांकि लिबरल पार्टी के नये नेता चुने जाने तक वह कनाडा के प्रधानमंत्री बने रहेंगे, जो लोग कनाडा के राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रख रहे थे, उन्हें कई महीनों से पता था कि टूडो का जाना तय है।

2015 से कनाडा के प्रधानमंत्री का पद संभाल रहे टुडो सिर्फ भारत से ही नहीं कई दूसरे देशों से भी बेमतलब पंगा लेने के आदी ये। अमेरिका जैसा पड़ोसी भी टूडो से खुश नहीं था। ट्रम्प हमेशा से टूडो को पसंद नहीं करते रहे। उन्होंने राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद साफ कह दिया कि अगर कनाडा, अमेरिका में घुस रहे प्रवासियों को नियंत्रित नहीं करता तो 20 जनवरी 2025 से कनाडा 25 प्रतिशत टैरिफ भुगतने के लिए तैयार रहे।

ट्रम्प ने मजाक उड़ाया

कनाडा के कुल निर्यात का 75 फीसदी अकेले अमेरिका को ही होता है, ऐसे में 25 प्रतिशत टैरिफ लगाये जाने का मतलब है कनाडा की अर्थव्यवस्था का तहस-नहस हो जाना। टूडो, ट्रम्प की इस धमकी के बाद भागे-भागे उनसे मिलने पहुंचे, लेकिन ट्रम्प ने फिर भी भाव नहीं दिया, बल्कि तीन बार ऐसा क्रूर और कड़वा मजाक किया, जिससे कोई और नेता होता तो शायद तिलमिला जाता।

ट्रम्प ने चुनाव जीतने के बाद से कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य ही बताना शुरू कर दिया है। पहली बार लगा कि यह मजाक में कहा होगा, लेकिन दूसरी बार और फिर तीसरी बार भी यह कहना कि कनाडा फायदे में रहेगा, अगर वह अमेरिका का 51वां राज्य हो जाए, कनाडा की संप्रभुता का मजाक नहीं तो और क्या है? लेकिन, जस्टिन ट्रुडो के मुंह से ट्रम्प या अमेरिका के विरूद्ध एक शब्द भी नहीं फूटा।

भारत पर बेतुका दोषारोपण

दरअसल जस्टिन ट्रुडो अपने थोड़े से फायदे के लिए एक ब्लंडर कर बैठे थे और फिर उस ब्लंडर से किसी तरह निकलने की बजाय उसे सही साबित करने की कोशिश में लग गए। कनाडा में 2।1 फीसदी सिक्खों की आबादी है और इस समय भारतीय मूल के सिक्ख जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) किंग मेकर की भूमिका में है, जिसने पिछले आम चुनाव में 24 सीटें जीती थीं। जगमीत सिंह की एनडीपी ने जस्टिन टूडो की लिबरल पार्टी से समर्थन वापस खींच लिया था, इसलिए भी अब उनका सत्ता में बने रहना असंभव था।

भारतीय छात्रों को ब्लैकमेल किया

लेकिन कनाडा हर तरह के भौंडेपन पर उतर आया। उसने भारतीय छात्रों को, जो कि बड़े पैमाने पर कनाडा में पढ़ने जाते हैं, ब्लैकमेल करने की कोशिश की। जबकि कनाडा को पता है कि उसके यहां आने वाले कुल विदेशी छात्रों में से 40 फीसदी अकेले हिंदुस्तान के छात्र हैं, जो कि उसकी अर्थव्यवस्था खासकर शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाये रखने के लिए अच्छी खासी मात्रा में धन पैदा करते हैं।

यही नहीं भारत, कनाडा के 10 शीर्ष कारोबारियों सहयोगियों में से है। कनाडा से भारत बड़ी मात्रा में दालें मंगाता है, जिसे वह उससे भी सस्ती दरों में ऑस्ट्रेलिया से और अपने पड़ोस के बर्मा या ब्राजील और मैक्सिको से भी आयात कर सकता है। कनाडा भारत से बड़े पैमाने पर दवाएं मांगता है।

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अगर वह इन दवाओं को अमेरिका या यूरोप से आयात करता है, तो 4 गुना ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। लिबरल पार्टी के अधिकतर नेता भी इस पक्ष में नहीं थे कि टूडो भारत के साथ इस तरह संबंध बिगाड़े। अगर इस साल अक्टूबर में होने वाले चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी जीतकर आती है, जिसके चांस काफी ज्यादा हैं तो स्थितियां सचमुच बेहतर होंगी। तब दोनों देशों के रिश्ते फिर से गर्मजोशी भरे वातावरण में आगे बढ़ सकते हैं। इसलिए जस्टिन टूडो की यह विदाई भारत के तो पक्ष में ही है और ईमानदारी से कहा जाए तो खुद कनाडा के पक्ष में भी है।

लेख- नरेंद्र शर्मा द्वारा

Canada pm justin trudeau resign was good for india he got into a fight with many countries

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Published On: Jan 08, 2025 | 01:30 PM

Topics:  

  • Anita Anand
  • Canada
  • Justin Trudeau
  • Liberal Party

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