तेजस फाइटर प्लेन (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: केंद्रीय बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 6.81 खरब रुपए की राशि आवंटित की गई है जो पिछले 2024-25 के बजट की 6.21 खरब की राशि से 9.5 फीसदी अधिक है। इसमें से 4.88 खरब रुपए वेतन, पेंशन, रखरखाव, दुरुस्ती तथा आधारभूत ढांचे के लिए खर्च किए जाएंगे। यह राशि कुल रक्षा बजट की 71.75 प्रतिशत है। पिछले बजट में पूंजीगत व्यय 1.7 लाख करोड़ था जो इस वर्ष 1.8 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है।
2024 के अंतरिम बजट में शस्त्रास्त्र खरीदी के लिए दिए गए 12,500 करोड़ रुपए रक्षा मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को लौटा दिए हैं। इससे यह बात सामने आती है कि सेनाओं के लिए शस्त्रास्त्र खरीदी में तेजी लाई जानी चाहिए और रक्षा मंत्रालय को इसमें विलंब नहीं करना चाहिए। सरकार की ओर से शस्त्रास्त्र प्रणाली हासिल करने की दिशा में गति बढ़ाना आवश्यक है।
सेना की वर्तमान जरूरतों को देखते हुए ऊंचे दर्जे के आधुनिक शस्त्रास्त्र खरीदने में तत्परता दिखानी होगी। इस संबंध में जो भी अनुबंध हैं उन्हें समय रहते पूरा किया जाना चाहिए। कहीं ऐसा तो नहीं है कि लालफीताशाही की वजह से समय पर खरीदी नहीं हो पाती? मंत्रालयों में परस्पर समन्वय बढ़ाया जाए तो रक्षा सामग्री की खरीद में अनावश्यक विलंब नहीं होगा।
कुछ सामग्री को हासिल करने में विलंब के लिए उसके निर्माता भी जिम्मेदार रहते हैं। उनपर दबाव होना चाहिए कि समय पर सामग्री का प्रेषण या हस्तांतरण करें। सरकार भी यह सुनिश्चित करे कि रक्षा मंत्रालय केा समय पर धन उपलब्ध कराया जाए और सेना के तीनों अंगों की रक्षा सामग्री जरूरतें यथाशीघ्र पूरी की जाएं।
भारत के स्वदेशी रक्षा संयंत्र काफी सक्षम हैं और निजी क्षेत्र में अच्छी गुणवत्ता की रक्षा सामग्री का निर्माण होने लगा है। उनकी क्षमता बढ़ाकर लगभग तीन चौथाई खरीदी उनसे की जाए। इससे रक्षा सामग्री बनानेवाली इकाइयों में लोगों को रोजगार मिलेगा और इन इकाइयों की क्षमता मजबूत होगी।
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बजट में 48,614 करोड़ रुपए विमानों और उनके इंजन खरीदी के लिए रखे गए हैं। देश को वायुसेना की नई स्क्वाड्रन तैयार करनी हैं और पुराने मिग विमानों को रिटायर कर नए विमान हासिल करने हैं। इसी तरह भारतीय नौसेना को भी अपने बेड़े के लिए फाइटर विमानों की तादाद बढ़ानी है। पाकिस्तान व चीन से खतरे को देखते हुए सैन्य शक्ति बढ़ानी होगी जिसके लिए समय रहते रक्षा सामग्री हासिल करना आवश्यक है। अमेरिका की जनरल इले्ट्रिरक (जीई) मार्च महीने से भारतीय वायुसेना के तेजस विमान के लिए एरो इंजन देगा। मार्च-अप्रैल तक एचएएल में 5 फाइटर विमान तैयार हो जाएंगे।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा