ऑस्ट्रेलिया में यहूदियों पर बर्बर हमला (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: आतंकियों द्वारा की गई करीब 50 राउंड की खौफनाक फायरिंग में 11 लोग तत्काल और 5 लोग अस्पतालों तक पहुंचाने के दौरान मारे गए। उसी समय वहां खड़ी कारों के पीछे से छुपते छुपाते अहमद नाम के एक बुजुर्ग ने जान की बाजी खेलकर एक हमलावर को काबू कर लिया और उसकी रायफल छीनकर बहुत से लोगों की जान बचाई। इस आतंकी हमले में एक इजराइली नागरिक और एक छोटे बच्चे सहित 16 लोग दम तोड़ चुके थे और घायल 38 लोगों में से एक दर्जन की हालत बेहद नाजुक थी। इस बर्बर आतंकी हमले से मची अफरा-तफरी के चलते लोग बेतहाशा इधर-उधर भागने लगे, हालांकि आनन-फानन में पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया और दोनों हमलावरों को गोली मार दी, जिसमें एक की मौके पर ही मौत हो गई। इन हमलावरों में एक की पहचान 24 वर्षीय नवीद अकरम के रूप में हुई है। वह पाकिस्तानी नागरिक है और ऑस्ट्रेलिया में राज मिस्त्री का काम कर रहा था।
पिछले दिनों जिस तरह ऑस्ट्रेलिया, इजराइल के खिलाफ सख्त बयानबाजी कर रहा था, उसको देखते हुए इजराइल को ऑस्ट्रेलिया में यहूदियों पर ऐसे हमले की आशंका पहले से ही थी। इसलिए इजराइल के प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री से यहूदियों की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से आगाह किया था। हाल के वर्षों में तीसरी बार ऑस्ट्रेलिया में यहूदियों पर बर्बर हमला हो गया। इस हमले की भर्त्सना पूरी दुनिया के राजनीतिक हलकों में हुई है, मगर सवाल है आखिर फिलिस्तीनियों के हमदर्द होने का दावा करने वाले मुस्लिम आतंकी उनके लिए इस कदर परेशानियां क्यों खड़ी कर रहे हैं? गौरतलब है कि लंबी जद्दोजहद के बाद पिछले दिनों गाजापट्टी में कई वर्षों के बाद युद्ध विराम और एक हताशाभरी शांति की कामना धीरे-धीरे मूर्त रूप लेते हुए दिखी ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में 14 दिसंबर को बोंडी बीच में स्थित आर्चर पार्क में जब यहूदी लोग अपना एक हफ्ते तक चलने वाला त्योहार हनुक्का मना रहे थे, तभी वहां काले कपड़ों में 2 आतंकी हमलावर आए और लोगों पर बर्बरता के साथ अंधाधुंध फायरिंग करने लगे। थी। लेकिन अब इस हमले के बाद ये तय है कि इजराइल इस हमले का गुस्सा फिर से फिलिस्तीनियों पर उतारेगा। ऐसे में यह विचारणीय है कि आखिर फिलिस्तीनियों के शुभचिंतक ये मुस्लिम आतंकी आखिर उनका जीना इस कदर हराम क्यों किए हैं?
ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में यहूदियों पर हमला महज स्थानीय अपराधभर नहीं होता, बल्कि यह एंटी-सेमिटिज्म अर्थात यहूदी विरोध का प्रतीक होता है। पिछले कुछ वर्षों में अनेक पश्चिमी देशों जैसे फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में यहूदियों पर मुस्लिम आतंकियों द्वारा जो हमले किए गए हैं, इजराइल ने उन हमलों का बदला बेकसूर और हताश फिलिस्तीनियों पर ज्यादा जुल्म ढाकर लिया है। पश्चिमी देशों में जब-जब यहूदियों पर हमला हुआ है, इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष तब-तब ज्यादा उग्र हुआ है। पूरी दुनिया में जहां भी यहूदी हैं, इजराइल बिना कहे उनको अपना नागरिक समझता है और उन पर हुए हमलों को अपने देश पर हुआ हमला मानता है। जिस तरह हमास ने दो साल पहले इजराइल पर बर्बर हमला किया था, जिसमें उसके 1200 लोग मारे गए थे और कुछ हजार लोगों को हमास के लड़ाकों ने बंधक बना लिया था।
ये भी पढ़ें– नवभारत विशेष के लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें
उसके बाद से लगातार यहूदियों के लिए सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में ही नहीं, बल्कि फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड और अन्य देशों में भी घात लगाकर बर्बर हमलों की स्थितियां बन गई हैं। सवाल उठता है कि ये इस्लामी आतंकवादी यहूदियों और इजराइल के विरूद्ध इस तरह उकसावे वाली हरकतें क्यों करते हैं? इन हरकतों से तो फिलिस्तीनियों की मुक्ति या अपने स्वतंत्र देश का सपना और ज्यादा शक के घेरे में आ जाता है। क्योंकि ऐसी घटनाओं के बाद इजराइल यह कहकर कि हम आत्मरक्षा में हैं, समूचे फिलिस्तीन पर जबर्दस्त कहर ढाता है।
खामियाजा भुगतेंगे मजबूर फिलिस्तीनी
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में 14 दिसंबर को बोंडी बीच में स्थित आर्चर पार्क में जब यहूदी लोग अपना एक हफ्ते तक चलने वाला त्योहार हनुक्का मना रहे थे, तभी वहां काले कपड़ों में
2 आतंकी हमलावर आए और लोगों पर बर्बरता के साथ अंधाधुंध फायरिंग करने लगे।
लेख-विजय कपूर के द्वारा