आज का निशानेबाज (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, बीजेपी ने हरियाणा और राजस्थान में अपने बागी नेताओं के खिलाफ एक्शन लेते हुए उनसे 3 दिन में जवाब मांगा है. क्या आपको लगता है कि नोटिस मिलने से इन नेताओं की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाएगी ?’हमने कहा, ‘राजनीति के बाग में बागियों की पैदावार होती रहती है। किसी जमाने में नेता त्यागीहुआ करते थे लेकिन अब उनको बागी बनते देर नहीं लगती. जब तक मतलब पूरा होता है। नेता की तबियत बाग-बाग रहती है, अगर स्वार्थ नहीं सधा या उपेक्षा हुई तो वह बगावत का झंडा उठा लेता है।’
पड़ोसी ने कहा, ‘जब अनुशासन कमजोर होता है तो कुछ नेता दुःशासन बन जाते हैं और अपनी ही पार्टी का चीरहरण करने लगते हैं. महत्वाकांक्षी नेता कभी अपनी वर्तमान स्थिति से संतुष्ट नहीं रहता. वह कार्यकर्ता से कार्पोरेटर, कार्पोरेटर से विधायक और फिर मंत्री बनना चाहता है. इसके बाद सीएम बनने का सपना देखता है.’ हमने कहा, ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने कभी पूरे नहीं होते. काबिलियत और किस्मत से ही कोई नेता आगे बढ़ पाता है।
कितने ही लोग निष्ठावान कार्यकर्ता बनकर जिंदगी भर दरी बिछाने या मंच पर कुर्सी लगाने काम करते हैं. उस कुर्सी पर वह बैठ नहीं पाते.’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, जो नेता राजनीति के दांवपेंच जानता है वह हमेशा मौके की ताक में रहता है. तालाब में बगुला एक टांग पर स्थिर खड़ा रहता है. जब मछली निकट आती है तो तुरंत चोंच बढ़ाकर निगल जाता है. राजनीति के सरोवर में भी बगुला भगत नजर आएंगे जो अवसर मिलते ही अपना रंग दिखाते हैं और अपने तरीके से सौदेबाजी करते हैं।
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यदि वे कमजोर निकले तो उन्हें कोई नहीं पूछता लेकिन दमदार दिखाई दिए तो पार्टी उन्हें आश्वासन देकर मना लेती है. एक पार्टी के बागियों को दूसरी पार्टी अपने यहां आने का न्योता देती है. एक तिहाई विधायक तोड़ कर अलग गुट बनाओ और इसके बाद नया गठबंधन कर लो. आपरेशन लोटस के जरिए बीजेपी ने यही किया लेकिन अब हरियाणा में उसके भी असंतुष्ट नेता अपना रंग दिखाने लगे हैं. बागी के मन की मुराद पूरी हो जाए तो उसे बागेश्वर धाम जाने जैसा सुख मिलता है।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा