(डिजाइन फोटो)
सरकार इस साल जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने जा रही है लेकिन आतंकवादी और उनका आका पाकिस्तान दहशत फैलाकर ऐसा खौफ का माहौल बनाना चाहते हैं कि चुनाव होने ही न पाएं। जम्मू संभाग में एक महीने में 5 आतंकी हमले हुए हैं। 9 जून को आतंकियों ने रायसी में वैष्णोदेवी यात्रा के श्रद्धालुओं से भरी बस पर हमला किया था जिसमें डाइवर का नियंत्रण बिगड़ने से बस खाई में जा गिरी थी और लोग मारे गए थे।
अब कश्मीर में एनिमी एजेंट कानून फिर से लागू किया जाएगा। इसके तहत आतंकियों के मददगारों की संपति जब्त करने से लेकर उम्रकैद और फांसी की सजा का प्रावधान है। यह कानून इस समय लागू यूएपीए से ज्यादा सख्त है। आतंकवादी हमले को अंजाम देने के बाद भागकर घने जंगलों या गुफाओं में छुप जाते हैं। सेना उनकी चप्पे-चप्पे में खोज करती है, जंगल के अलावा सुरंग और नाले के रास्ते भी आतंकी जम्मू कश्मीर में आते हैं। फिर 12 व 13 जून को हमला हुआ था। 26 जून को डोडा जिले में सेना के काफिले पर हमला हुआ जिसमें 3 विदेशी आतंकी मार गिराए गए। इसके बाद से ही सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
गत रविवार को राजौरी जिले के मंजकोट में सेना के कैंप पर फायरिंग में एक जवान घायल हुआ। इसके दूसरे दिन सोमवार को आतंकियों ने कठुआ जिले के पछेड़ी में आमर्मी ट्रक पर ग्रेनेड फेंके, फिर गोलियों की बौछार कर दी जिससे ट्रक में सवार जेसीओ सहित 10 जवान घायल हो गए। बाद में इनमें से जेसीओ समेत 5 ने दम तोड़ दिया, कुलगाम में हुई मुठभेड़ में 6 आतंकी मारे गए व 2 जवान शहीद हुए। सेना ने इस वर्ष के अंत तक जम्मू क्षेत्र से आतंक के सफाए की योजना बनाई है। पुंछ, राजौरी, रियासी और कठुआ में सक्रिय 30 आतंकियों की लिस्ट बनी है जिनका सफाया किया जाना है।
पुंछ और राजौरी में वह गुफाएं भी ध्वस्त की जाएंगी जहां आतंकी छिपते हैं। पुंछ-राजौरी में एक वर्ष में सर्वाधिक आतंकी हमले हुए हैं जिनमें 25 आतंकी मारे गए और 20 जवान शहीद हुए। कोई भी परिवार पुलिस को सूचना दिए बगैर अपने रिश्तेदार को भी घर में पनाह नहीं दे सकेगा। पुंछ और राजौरी पाकिस्तानी सीमा से सटे हुए हैं जहां गुज्जर और बकरवाल रहते हैं। इन पर आतंकियों से धन लेकर या दबाव में आकर मदद देने का आरोप लगता रहा है। सेना के सामने इन्हें मुखबिर बनाने की चुनौती है। बिना स्थानीय सहयोग मिले विदेशी आतंकियों का सफाया करना संभव नहीं है।लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा