लद्दाख में भड़की हिंसा के दृश्य (फोटो- सोशल मीडिया)
Ladakh Violence Inside Story: कश्मीर के जिस हिस्से को शांति और शांत वादियों के लिए जाना जाता है, आज हिंसा की आग में झुलस रहा है। 36 साल बाद लेह की सड़कों पर ऐसा मंजर दिखा, जहां प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस हिंसा में चार लोगों की जान चली गई और 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिसके बाद प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है। केंद्र सरकार ने इस पूरी घटना के लिए सीधे तौर पर क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के भड़काऊ बयानों को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, वांगचुक ने इसे जेन-जी क्रांति बताते हुए हिंसा के बाद अपनी 15 दिन पुरानी भूख हड़ताल वापस ले ली है।
चार साल से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन ने अचानक हिंसक रूप कैसे ले लिया, यह एक बड़ा सवाल है। लद्दाख के लोग पूर्ण राज्य के दर्जे, संविधान की छठी अनुसूची में शामिल होने, दो अलग लोकसभा सीटों और स्थानीय युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों की मांग कर रहे हैं। इन मांगों को लेकर सोनम वांगचुक और कई स्थानीय संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। सरकार का कहना है कि वह बातचीत के लिए तैयार थी और 25-26 सितंबर को बैठक भी होनी थी, लेकिन इससे पहले ही हिंसा भड़क गई। सरकार ने सवाल उठाया है कि जब बातचीत का रास्ता खुला था, तो हिंसा किसके फायदे के लिए भड़काई गई?
इस हिंसा को लेकर अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। केंद्र सरकार और भाजपा ने हिंसा के पीछे कांग्रेस का हाथ होने का भी आरोप लगाया है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने एक वीडियो जारी कर दावा किया कि कांग्रेस के एक पार्षद भीड़ को उकसा रहे थे। दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह घटना केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद लद्दाख के लोगों की निराशा और गुस्से को दर्शाती है। उनका कहना है कि जब लद्दाख के लोग ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, तो जम्मू-कश्मीर के लोगों की निराशा का अंदाजा लगाया जा सकता है।
सोनम वांगचुक ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का हल न निकलने से युवाओं में निराशा बढ़ रही थी, जिसके चलते यह स्थिति पैदा हुई। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्रालय का बयान स्पष्ट रूप से कहता है कि वांगचुक के बयानों ने ही भीड़ को उकसाया। इस बीच, हिंसा को देखते हुए लद्दाख फेस्टिवल भी रद्द कर दिया गया है। फिलहाल, लेह में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है, लेकिन इस घटना ने कई गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका जवाब मिलना अभी बाकी है।
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दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा तब भड़की जब वांगचुक की भूख हड़ताल के दौरान दो बुजुर्ग प्रदर्शनकारियों की तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद से कुछ युवा नाराज हो गए और सोशल मीडिया के जरिए भीड़ इकट्ठा की गई, जिसने बाद में हिंसक रूप ले लिया।