मां कूष्माण्डा (सो.सोशल मीडिया)
आज शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन है। सनातन धर्म में नवरात्रि के नौ दिन का बड़ा महत्व होता है। नौ दिनों में हर एक दिन माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा, आराधना और मंत्रों के जाप से माता का प्रसन्न किया जाता है। नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा का विधान है। नवरात्रि के चौथे दिन जगत जननी देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्माण्डा की पूजा-आराधना सच्चे मन से करने से भक्तों के रोगों का नाश होता है और आयु, यश, बल व आरोग्य की प्राप्ति होती है। देवी कुष्मांडा सच्चे मन से की गयी सेवा और भक्ति से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती है।
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार,नवरात्रि के चौथे दिन जगत जननी देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्माण्डा की पूजा-आराधना सच्चे मन से करनी चाहिए। इनकी पूजा से भक्तों के रोगों का नाश होता है और आयु, यश, बल व आरोग्य की प्राप्ति होती है। देवी कुष्मांडा सच्चे मन से की गयी सेवा और भक्ति से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती है। ऐसे में आइए जानें मां कूष्माण्डा पूजा का शुभ मुहर्त, पूजा विधि और स्वरूप के बारे में-
शुभ मुहर्त
पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 अक्टूबर को 7:49 सुबह से होगी जिसका समापन 7 अक्टूबर को 9:47 सुबह पर होगा ।
कैसा है मां कूष्माण्डा का स्वरूप
इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही है, इनके तेज की तुलना इन्हीं से की जा सकती है। अन्य कोई भी देवी-देवता इनके तेज़ और प्रभाव की समता नहीं कर सकते। इन्हीं के तेज़ और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हो रहीं हैं।
ब्रह्माण्ड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में स्थित तेज़ इन्हीं की छाया है। इनकीआठ भुजाएं हैं,अतः ये अष्टभुजादेवी के नाम से भी जानी जाती हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डलु,धनुष,बाण,कमलपुष्प,अमृतपूर्ण कलश ,चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है एवं इनका वाहन सिंह है।
ऐसे करें मां कूष्माण्डा पूजा
देवी कूष्मांडा की पूजा में कुमकुम, मौली, अक्षत, पान के पत्ते, केसर और शृंगार आदि श्रद्धा पूर्वक चढ़ाएं। सफेद कुम्हड़ा या कुम्हड़ा है तो उसे मातारानी को अर्पित कर दें, फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में घी के दीप या कपूर से मां कूष्मांडा की आरती करें।
आरती के बाद उस दीपक को पूरे घर में दिखा दें ऐसा करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है। अब मां कूष्मांडा से अपने परिवार के सुख-समृद्धि और संकटों से रक्षा का आशीर्वाद लें। देवी कुष्मांडा की पूजा अविवाहित लड़कियां करती हैं, तो उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। सुहागिन स्त्रियां को अखंड सौभाग्य मिलता है।
इस दिन देवी कुष्मांडा को पीले रंग के फूल या चमेली का फूल अर्पित करना चाहिए। माता को श्रृंगार में सिन्दूर, काजल, चूड़ियां, बिंदी, बिछिया, कंघी, दर्पण और पायल भी अर्पित कर सकते हैं। मां कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगा सकते हैं।