शिवलिंग (सौ.सोशल मीडिया)
Mahashivratri 2025 : 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का महापर्व पूरे देश भर में मनाया जाएगा। सनातन धर्म महाशिवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। दरअसल, इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था।
महाशिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा करने के साथ-साथ शिवलिंग की पूजा का विशेष विधान माना गया है। शिवलिंग की पूजा के दौरान कई चीजें अर्पित की जाती हैं। इन्हीं में से एक है दूध। शिवलिंग पर दूध सबसे ज्यादा चढ़ाया जाता है।
हालंकि आप में से बहुत से लोग शिवलिंग पर तांबे के लोटे से दूध चढ़ाते होंगे जो कि पूरी तरह से गलत है। तो ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर शिवलिंग पर तांबे के लोटे से दूध क्यों नहीं चढ़ाना चाहिए।
क्यों नहीं चढ़ाते हैं शिवलिंग पर तांबे के लोटे से दूध जानिए
ज्योतिष गुरु के अनुसार, तांबे को हिन्दू धर्म में शुद्ध धातु माना जाता है। तांबे में कुछ भी रखना उस वस्तु की पवित्रता को सर्वाधिक बनाए रखता है। वहीं, दूध एक ऐसा पदार्थ है जिसे हर पूजा-पाठ में इस्तेमाल किया जाता है।
यहां तक कि घर में तांबे, पीतल, सोने, चांदी आदि कोई भी धातु को लाने के बाद उसे सबसे पहले दूध से ही धोया जाता है क्योंकि दूध में वस्तु की नकारात्मकता खींचने की अद्भुत दिव्यता मौजूद है।
हालांकि दोनों ही चीजों के शुद्ध होने के बाद भी तांबे के लोटे में दूध भरकर शिवलिंग पर चढ़ाने से मना किया जाता है। इसके पीछे का कारण भी दूध की दिव्य शक्तियों से ही जुड़ा हुआ है।
दूध किसी भी वस्तु की नकारात्मकता को खींच लेता है। ठीक ऐसे ही तांबे के लोटे के आसपास अगर कोई भी अशुद्धता मौजूद होती है तो तांबे में दूध भरते ही वह अशुद्धता उस लोटे के भीतर एकत्रित हो जाती है।
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ऐसे में तांबे के लोटे में मौजूद दूध भी उस नकारात्मकता या अशुद्धता के कारण अपवित्र हो जाता है। फिर वह दूध शिवलिंग पर अर्पित करने योग्य नहीं रहता है। ऐसा भी कहते हैं कि तांबे के लोटे में दूध मदिरा के समान माना गया है। इसलिए शिवलिंग पर तांबे के लोटे से दूध नहीं चढ़ाते है।