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पत्नी के कर्म का फल पति को क्यों भोगना पड़ता है? प्रेमानंद जी महाराज का सीधा जवाब

Premanand Ji Maharaj About Marriage: आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज अपने सत्संगों में लोगों की व्यक्तिगत, पारिवारिक और मानसिक समस्याओं को बड़े सरल और गूढ़ ढंग से समझाते हैं।

  • By सिमरन सिंह
Updated On: Dec 16, 2025 | 05:50 PM

प्रेमानंद जी ने बताया पति पत्नी का रिश्ता। (सौ. Pinterest)

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Husband-Wife Karmic Relationship: आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज अपने सत्संगों में लोगों की व्यक्तिगत, पारिवारिक और मानसिक समस्याओं को बड़े सरल और गूढ़ ढंग से समझाते हैं। हाल ही में एक सत्संग के दौरान उनसे एक ऐसा प्रश्न पूछा गया, जो आज के दांपत्य जीवन से गहराई से जुड़ा है क्या पत्नी के बुरे कर्मों का फल पति को भी भोगना पड़ता है? इस सवाल पर प्रेमानंद जी का उत्तर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि वैवाहिक जीवन की मूल भावना को भी स्पष्ट करता है।

विवाह केवल रिश्ता नहीं, एक साझा धर्म है

प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि विवाह के समय पाणिग्रहण संस्कार होता है, जिसमें पति और पत्नी केवल जीवनसाथी नहीं, बल्कि मित्र बनते हैं। विवाह के दौरान दिए गए वचन यह संकेत करते हैं कि भले ही शरीर दो हों, लेकिन दोनों का धर्म एक होता है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि पति-पत्नी इस संकल्प से खुद को अलग मानने लगें, तो फिर वह संबंध वास्तव में दांपत्य कहलाने योग्य नहीं रहता।

कर्म और भोग दोनों का साझा उत्तरदायित्व

गुरुजी के अनुसार, यदि पति-पत्नी वास्तव में एक हैं, तो दोनों की सलाह से किए गए कर्म चाहे वे सही हों या त्रुटिपूर्ण उनका फल भी दोनों को ही भोगना पड़ता है। उन्होंने समझाया कि कर्म केवल व्यक्तिगत नहीं रहते, बल्कि दांपत्य जीवन में वे साझा हो जाते हैं। यही कारण है कि पत्नी को शास्त्रों में ‘अर्द्धांगिनी’ कहा गया है।

दांपत्य जीवन की गाड़ी और उसके दो पहिए

प्रेमानंद जी ने एक सरल उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे गाड़ी के दो पहिए होते हैं और लक्ष्य एक होता है, वैसे ही पति-पत्नी का उद्देश्य भी एक होना चाहिए। यदि दोनों की दिशा अलग-अलग हो जाए, तो दांपत्य जीवन की गाड़ी पटरी से उतर जाती है। यह उदाहरण आज के रिश्तों पर सटीक बैठता है, जहां आपसी समझ और साझा सोच की कमी दिखाई देती है।

बदलता समय और संस्कारों की कमी

उन्होंने वर्तमान समय पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज लोग कोर्ट मैरिज कर लेते हैं, जहां विवाह में संस्कारों की भूमिका सीमित हो गई है। वक्त बदल गया है, अब रिश्तों में धर्म की चर्चा कम और केवल औपचारिकता अधिक रह गई है। यही कारण है कि दांपत्य जीवन में असंतुलन बढ़ रहा है।

समाधान क्या है?

सत्संग के अंत में प्रेमानंद जी महाराज ने सरल समाधान दिया “जो भी हो, जैसा भी हो, राम का नाम जपो, सब अच्छा होगा।” उन्होंने कहा कि ईश्वर हर स्थिति में रास्ता निकालता है। साथ ही उन्होंने पति-पत्नी को सलाह दी कि दोनों मिलकर अच्छा सोचें, अच्छा करें और धर्म के मार्ग पर चलें, तभी जीवन में शांति और संतुलन बना रहेगा।

Why does the husband have to bear the consequences of his wifes actions a straightforward answer from premnand ji maharaj

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Published On: Dec 16, 2025 | 05:50 PM

Topics:  

  • Astro Tips
  • Husband Wife Viral Video
  • Premanand Maharaj
  • Religion
  • Sanatan Hindu religion

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