आखिर करवा चौथ पर महिलाएं क्यों करती है सोलह श्रृंगार (सौ.सोशल मीडिया)
Karwa Chauth Solah Shringar: सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला करवा चौथ का पावन पर्व इस बार 10 अक्टूबर 2025 को मनाई जा रही है। यह पर्व महिलाए अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखती है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और माता करवा की श्रद्धापूर्वक पूजा करती हैं।
कहा जाता है कि, यह उपवास न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने वाला एक पावन अवसर भी है। करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार करने की परंपरा का भी विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस दिन पूर्ण श्रृंगार करने से माता करवा प्रसन्न होती हैं और व्रती महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
सोलह श्रृंगार नारी सौंदर्य, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक माना जाता है, जो इस दिन की पूजा और व्रत को पूर्णता प्रदान करता है। ऐसे में आइए जान लेते हैं करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार क्यों किया जाता है।
धार्मिक एवं लोक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ के दिन हर हिन्दू सुहागिन महिला को सोलह श्रृंगार करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह न केवल सौंदर्य और सज्जा का प्रतीक है, बल्कि अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र की कामना से भी जुड़ा हुआ है।
पूजा से पहले महिलाएं सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी, काजल, गजरा, नथ, अंगूठी, झुमके, मांग टीका, मंगलसूत्र, पायल, बिछिया, आलता, मेंहदी, बाजूबंद और कमरबंद आदि पहनकर पूरा श्रृंगार करती हैं।
कहा जाता है कि, यह श्रृंगार माता करवा को समर्पित होता है, और माना जाता है कि इससे वे प्रसन्न होकर व्रती को सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।
शास्त्रों के अनुसार, करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा किया गया सोलह श्रृंगार सिर्फ बाहरी सजावट नहीं, बल्कि आस्था, प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूरा श्रृंगार करने से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
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सोलह श्रृंगार में हर एक वस्तु का अपना विशेष महत्व होता है। जैसे, हाथों में रची मेंहदी पति-पत्नी के बीच प्रेम और जुड़ाव का प्रतीक मानी जाती है। गले में पहनाया गया मंगलसूत्र रिश्ते की मजबूती और स्थायित्व को दर्शाता है।
वहीं माथे पर सजाई गई बिंदी स्त्री के सौभाग्य, सम्मान और सुरक्षा की प्रतीक मानी जाती है।