आखिर क्यों होता है मूर्ति विसर्जन (सौ.सोशल मीडिया)
Durga Murti Visarjan Rules: नौ दिनों तक शक्ति और भक्ति की अलौकिक यात्रा पूरी करने के बाद, अब समय है मां दुर्गा को विदा करने का। शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा की भक्ति और आराधना करने के बाद दशमी तिथि को मूर्ति विसर्जन की जाती है।
इसे विजयादशमी भी कहा जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दिन हिंदू भक्तजन मां दुर्गा को भावभीनी विदाई देते हैं और मूर्ति विसर्जन के साथ कलश विसर्जन का भी विशेष महत्व होता है। ऐसे में आइए जानते हैं विसर्जन के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और कलश विसर्जन की सही विधि क्या है।
धर्म ग्रथों के अनुसार, नवरात्र के दौरान भक्त अपने घर या पंडाल में मां दुर्गा की स्थापना कर नौ दिनों तक पूजा, व्रत और आराधना करते हैं। आश्विन मास के दशमी तिथि को लेकर यह मान्यता है कि मां दुर्गा कैलाश पर्वत की ओर प्रस्थान करती हैं और भक्तों को उनके कल्याण का आशीर्वाद देकर विदा होती हैं। मूर्ति विसर्जन इस बात का प्रतीक है कि देवी अब अपने धाम लौट रही हैं और भक्त अगले साल फिर से उनकी स्थापना करेंगे।
मूर्ति विसर्जन के दौरान इस बात का रहें ख्याल खंडित मूर्ति न हो। कहते है यदि मूर्ति खंडित हो गई है या विसर्जन से पहले कोई टूट-फूट हो गई है, तो उसका विसर्जन भी पूर्ण विधि-विधान से और सम्मानपूर्वक ही करें।
नवरात्रि में जलाई गई अखंड ज्योति को विसर्जन से पहले स्वयं से नहीं बुझाना चाहिए। पूजा समाप्त होने पर उसकी बत्ती को अलग निकालकर सुरक्षित रख लें। बचा हुआ तेल या घी अगली पूजा या हवन में उपयोग किया जा सकता है।
मूर्ति विसर्जन से पहले मां दुर्गा की षोडशोपचार पूजा करें और उनसे पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना जरूर करें। ऐसा करना अनिवार्य माना गया है।
शास्त्रों के अनुसार, मूर्ति स्थापना के साथ ही कलश (घट) की स्थापना भी की जाती है, जिसे देवी का प्रतीक माना जाता है। इसमें नारियल, आम या अशोक के पत्ते और जल भरा होता है। नवरात्रि के दौरान यह कलश माता की ऊर्जा और शक्ति का केंद्र माना जाता है।
मूर्ति विसर्जन से पहले कलश की पूजा करें। कलश में रखे जल को घर के तुलसी के पौधे या किसी पवित्र स्थान पर छिड़कें। नारियल और पत्तियों को विसर्जन स्थल पर प्रवाहित करें। कलश को गंगाजल से शुद्ध कर घर में रखा जा सकता है, इसे शुभ माना जाता है।
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ऐसी मान्यता है कि यदि साधक द्वारा मूर्ति और कलश विसर्जन के नियमों का सही तरीके से पालन किया जाए तो घर में सुख-समृद्धि, शांति और शक्ति बनी रहती है। साथ ही, मां दुर्गा की असीम कृपा से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है और परिवार पर सुख-समृद्धि बनी रहती है।