मोहिनी एकादशी(सौ.सोशल मीडिया)
Mohini Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, जो भगवान विष्णु को समर्पित होता है। हर महीने दो बार एकादशी का व्रत किया जाता है, जिसमें विधिपूर्वक लक्ष्मी-नारायण की पूजा की जाती है। साथ ही, एकादशी का व्रत भी रखा जाता है। इस बार मई महीने की एकादशी यानी मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई है।
ज्योतिषयों के अनुसार, इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही, जीवन के सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साधक श्रद्धा भाव से एकादशी के दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा करते हैं। आइए, मोहिनी एकादशी की सही डेट, शुभ मुहूर्त और महिमा जानते हैं-
मोहिनी एकादशी व्रत 2025 डेट और मुहूर्त
आपको बता दें, मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई 2025 को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 7 मई को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर होगा। एकादशी तिथि का समापन 8 मई को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा। मोहिनी एकादशी का पारण 9 मई को किया जाएगा। पारण का शुभ समय सुबह 6 बजकर 6 मिनट से सुबह 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
मोहिनी एकादशी के दिन प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
रोली, चंदन, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतुफल, और तुलसी दल से पूजा करें।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
श्रीहरि की आरती करें और दीपदान करें।
पूरे दिन सात्विकता का पालन करें, मन, वचन और कर्म से पवित्र बने रहें।
कपट, क्रोध, लालच, द्वेष और परनिंदा से दूर रहें।
व्रत के साथ दान का भी विशेष महत्व है। ठंडी वस्तुओं जैसे आम, खरबूजा, शर्बत, ठंडाई, जल आदि का दान करना शुभ फलदायक माना गया है।
क्या है मोहिनी एकादशी का व्रत की महिमा
सनातन धर्म में मोहिनी एकादशी को अत्यंत पुण्यदायक और मोह-माया से मुक्ति दिलाने वाली तिथि माना गया है। यह व्रत वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ता है और भगवान श्रीहरि विष्णु के मोहिनी रूप को समर्पित है।
मोहिनी नाम स्वयं संकेत करता है,यह वह दिव्य रूप है जिसमें भगवान विष्णु ने असुरों को मोह में डालकर देवताओं को अमृत प्रदान किया था। यह रूप सत्य की रक्षा और अधर्म के विनाश का प्रतीक है। शास्त्रों में वर्णन है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने भी इस एकादशी का व्रत रखा था। इसी व्रत की कृपा से उन्हें अनेक बाधाओं से मुक्ति और जीवन में विजय प्राप्त हुई।
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माना जाता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा से इस दिन उपवास रखता है, प्रभु विष्णु की पूजा करता है और अपने आचरण में सात्विकता लाता है, उसे न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन की उलझनों और मोह के बंधनों से भी छुटकारा मिलता है। यह व्रत मन की शुद्धि, आत्मिक बल, और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग बनाता है। भक्त का चित्त भगवान की ओर उन्मुख होता है और वह सांसारिक भ्रमों से ऊपर उठकर परम सत्य से जुड़ता है।