काल भैरव अष्टमी (सौ.सोशल मीडिया)
Kaal Bhairav Ashtami : कालाष्टमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान शिव के रौद्र रूप कालभैरव देव को समर्पित है। इस बार फरवरी महीने की काल भैरव अष्टमी 20 फरवरी को है।
धार्मिक मत है कि काल भैरव देव की पूजा-उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जो लोग सच्चे मन से भगवान भैरव की पूजा करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। आइए जानते है काल भैरव अष्टमी की तिथि,पूजा विधि और महिमा
काल भैरव अष्टमी तिथि और शुभ मुहर्त
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 20 फरवरी दिन गुरुवार को सुबह 03 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 21 फरवरी दिन शुक्रवार को सुबह 01 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार कालाष्टमी की पूजा 20 फरवरी को करना शुभ रहेगा।
ऐसे करें काल भैरव बाबा की पूजा
कालाष्टमी व्रत के दिन सुबह की शुरुआत काल भैरव देव के ध्यान से करें। इसके बाद सुबह की सभी कामों को कर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। उसके बाद सूर्य देव को जल दें। सूर्य देव को जल देने के बाद एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछा लें। अब इसपर काल भैरव देव की मूर्ति या फिर प्रतिमा स्थापित करें।
तस्वीर विराजित करने के बाद उन्हें बिल्व पत्र, धतूरा, फल, फूल आदि अर्पित करें। इन चीजों को अर्पित करने के बाद दीपक जलाएं और आरती करें। इसके साथ ही इस दिन पूजा के बाद भैरव कवच का पाठ अवश्य करें। इसके बाद अगले दिन पूजा पाठ करने के बाद व्रत खोल लें।
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काल भैरव अष्टमी पर्व क्या है महिमा जानिए
सनातन धर्म में कालाष्टमी पर्व का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर शिव मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया जाता है। साथ ही काल भैरव की विशेष पूजा की जाती है। तंत्र सीखने वाले साधक सिद्धि प्राप्ति हेतु निशा काल में अनुष्ठान करते हैं। कठिन साधना से प्रसन्न होकर काल भैरव देव साधक की मनोकामना पूर्ण करते हैं।