Hindi news, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest Hindi News
X
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • धर्म
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • करियर
  • टेक्नॉलजी
  • यूटिलिटी न्यूज़
  • फैक्ट चेक
  • हेल्थ
  • ऑटोमोबाइल
  • वीडियो

  • वेब स्टोरीज
  • फोटो
  • होम
  • विडियो
  • फटाफट खबरें

आज है ‘वैकुंठ चतुर्दशी’, जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, बैकुंठ धाम की होगी प्राप्ति!

Baikunth Chaturdashi: कहा जाता है कि बैकुंठ चतुर्दशी की शुभ तिथि भगवान विष्णु और भगवान शिव के पवित्र मिलन का प्रतीक होता है। इस दिन व्रत, पूजा और दीपदान के साथ-साथ व्रत कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए।

  • By सीमा कुमारी
Updated On: Nov 04, 2025 | 12:49 PM

ये है बैकुंठ चतुर्दशी व्रत कथा (सौ.सोशल मीडिया)

Follow Us
Close
Follow Us:

Vaikuntha Chaturdashi vrat katha 2025: हिंदू धर्म में ‘बैकुंठ चतुर्दशी’ का बहुत अधिक महत्व है। जो आज 4 नवंबर को मनाई जा रही है। यह दिन सनातन धर्म के लिए इसीलिए खास होता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की एक साथ पूजा की जाती है।

शिव पुराण के अनुसार, बैकुंठ चतुर्दशी के दिन ही देवों के देव भगवान शिव ने जगत के पालनहार भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि कोई भक्त इस दिन भगवान विष्णु की 1 हजार कमल के फूल से पूजा करता है तो उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।

हिंदू मान्यता के अनुसार, बैकुंठ चतुर्दशी के इस शुभ अवसर पर व्रत कथा का पाठ करना जरूरी माना गया है और मान्यता है कि इस कथा को पढ़ने या सुनने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं बैकुंठ चतुर्दशी की कथा-

ये है बैकुंठ चतुर्दशी व्रत कथा

बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा के अनुसार, किसी समय की बात है कि एक बार भगवान विष्णु ने कार्तिक मास की चतुर्दशी को देवों के देव भगवान शिव की पूजा करने के लिए वाराणसी में एक हजार स्वर्ण कमल के फूल अर्पित करने का संकल्प लिया।

इसी संकल्प और पूजा करते समय भगवान शिव ने विष्णु जी की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए एक फूल को छिपा दिया। एक फूल कम होने पर भगवान विष्णु ने सोचा कि उनकी आंखें भी कमल के समान हैं, क्योंकि उन्हें ‘कमल नयन’ कहा जाता है।

ऐसे में भगवान विष्णु ने फूल की जगह अपनी आंखें शिव जी को चढ़ाने का निर्णय लिया। जैसे ही उन्होंने अपनी आंखें निकालने का प्रयास किया, भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें रोक दिया।

भगवान विष्णु की इस भक्ति और अगाध प्रेम से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया। भगवान शिव ने उन्हें यह वरदान दिया कि जो कोई इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करेगा, उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होगी। इसलिए सनातन धर्म में इस दिन महत्व है।

बैकुंठ चतुर्दशी 2025 पूजा शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, 3 नवंबर, सोमवार के दिन मध्यरात्रि के बाद यानी 2 बजकर 6 मिनट से चतुर्दशी तिथि का आरंभ होगा। वहीं, 4 नवंबर, मंगलवार को रात में 11 बजकर 37 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा।

ये भी पढ़ें-आज मनाई जा रही है बैकुंठ चतुर्दशी, जानिए सनातन धर्म में इस दिन का क्यों है इतना महत्व

ऐसे में बैकुंठ चतुर्दशी 4 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा करने का सबसे शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 35 मिनट से लेकर 7 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। वहीं, जो लोग मासिक शिवरात्रि का व्रत करते हैं उनके लिए 3 नवंबर यानी आज यह व्रत करना श्रेष्ठ रहेगा।

What is the story of baikuntha chaturdashi fast

Get Latest   Hindi News ,  Maharashtra News ,  Entertainment News ,  Election News ,  Business News ,  Tech ,  Auto ,  Career and  Religion News  only on Navbharatlive.com

Published On: Nov 04, 2025 | 12:49 PM

Topics:  

  • Lord Shiva
  • Lord Vishnu
  • Religion

सम्बंधित ख़बरें

1

आज का राशिफल 20 दिसंबर 2025: शनिवार के दिन कन्या राशि सहित इन राशि वालों को होगा धन लाभ

2

घर की इस दिशा में लगाएं शमी का पौधा, खिंची चली सुख-समृद्धि और खुशहाली

3

गुड लक का प्रतीक है क्रिसमस ट्री, घर में लगाने से दूर होता है वास्तु दोष और आती है सुख-समृद्धि

4

नए साल पर कर लें काम, लव लाइफ़, पैसे और कारोबार में मिलेगी कामयाबी!

Popular Section

  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़

States

  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्यप्रदेश
  • दिल्ली NCR
  • बिहार

Maharashtra Cities

  • मुंबई
  • पुणे
  • नागपुर
  • ठाणे
  • नासिक
  • अकोला
  • वर्धा
  • चंद्रपुर

More

  • वायरल
  • करियर
  • ऑटो
  • टेक
  • धर्म
  • वीडियो

Follow Us On

Contact Us About Us Disclaimer Privacy Policy Terms & Conditions Author
Marathi News Epaper Hindi Epaper Marathi RSS Sitemap

© Copyright Navbharatlive 2025 All rights reserved.