वट पूर्णिमा व्रत से जुड़े नियम(सौ.सोशल मीडिया)
आज 10 जून को वट पूर्णिमा का व्रत रखा जा रहा है। हिंदू धर्म में वट पूर्णिमा व्रत का बड़ा महत्व है। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ महीने में आने वाली पूर्णिमा को रखा जाता है। सालभर में वट सावित्री का व्रत दो बार रखा जाता है। आपको बता दें, हिंदू धर्म में इस व्रत को नारी शक्ति, प्रेम और त्याग का प्रतीक भी माना गया है।
आपको बता दें, जहां उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है तो वहीं ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट सावित्री व्रत महाराष्ट्र, गुजरात आदि में रखा जाता है। ये दिन सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत खास होता है।
वैसे तो पूर्णिमा लक्ष्मी जी को समर्पित है, लेकिन वट पूर्णिमा व्रत महिलाएं अपने पति के मंगल कामना के लिए रखती है। ऐसे में वट पूर्णिमा व्रत के दौरान जहां पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन सुखमय के लिए व्रत रखने का विधान है। वहीं कुछ खास चीजों को करने की मनाही भी होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि वट पूर्णिमा व्रत से जुड़े नियम
व्रत वाले दिन काले, नीले जैसे गहरे रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। ये रंग नकारात्मकता का प्रतीक हैं, जिनके प्रभाव से व्यक्ति का मन परेशान रहता है।
वट पूर्णिमा व्रत के दिन प्याज, लहसुन, मांस और मछली जैसी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए और न ही इन चीजों को घर में लाना चाहिए।
यह भी पढ़ें-अंतिम बड़ा मंगल है हनुमानजी की विशेष कृपा पाने का बड़ा मौका, इन उपायों से प्रसन्न होंगे बजरंगबली, पलट जाएगी किस्मत
व्रत वाले दिन व्रती को कटु भाषा बोलना, किसी का अपमान करना और झगड़ा करने से बचना चाहिए।
व्रत वाले दिन साधक को आंतरिक शुद्धता पर भी ध्यान देना चाहिए। इसके लिए सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूरे दिन मोबाइल और टीवी आदि से दूर रहें।
वट पूर्णिमा व्रत में मौसमी फल, दूध से बनी चीजें, सूखे मेवे, कुट्टू-सिंघाटे के आटे से बनी चीजें, शकरकंद, आलू, नारियल पानी, साबूदाना और सेंधा नमक का ही केवल सेवन किया जाता है।
इसलिए इस दिन गेहूं, चावल, बेसन, दाल, नमक और मसालेदार भोजन का सेवन न करें। इससे आपका व्रत टूट सकता है।
व्रत के दौरान दिन में सोने से बचें। वट पूर्णिमा व्रत के दिन नाखून और बाल काटने से बचें। इससे आपके सुहाग पर अशुभ प्रभाव पड़ सकता है।