
माता सीता का मंदिर (,सौ.सोशल मीडिया)
धर्म डेस्क : हिंदू धर्म में सभी व्रत और त्योहार का महत्व है जिसके अनुसार इसके नियम भी होते है। बीते दिन विवाह पंचमी मनाई गई।मार्गशीर्ष या अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यह दिन खास होती है। भगवान श्रीराम से जुड़े कई फैक्ट तो आप जानते है लेकिन माता सीता से जुड़ा तथ्य नहीं जानते होंगे। लेकिन आप जानते है सीता जी का विवाह भी जनकपुर में हुआ था, जनकपुर का कुछ हिस्सा बिहार और कुछ हिस्सा नेपाल में है। इसलिए ये दोनों ही जगह को वर्तमान में सीता जी का मायका कहा जाता है।
आपको बताते चलें कि, बिहार और नेपाल के अलावा भी सीता जी का एक और मायका है जो उनके ससुराल अयोध्या में ही है। इसका गांव का नाम जनौरा है। कहा जाता है कि, जनौरा गांव को माता सीता के पिता राजा जनक ने बसाया था, उन्होंने राजा दशरथ से अयोध्या के पास भूखंड खरीदकर इस गांव को बसाया था। इसलिए अयोध्या से सटे जनौरा गांव को राजा जनक की मल्कियत कहा जाता है. जनौरा गांव में राजा जनक ने महल साथ ही अपने आराध्य शिवजी का मंदिर भी बनाया था।
यहां जनौरा गांव बसाने को लेकर कहा जाता है कि, कई प्रसंगों में राजा जनक को पांरपारिक बताया गया है और रूढ़िवादी भी, उन्होंने सीता जी का विवाह अयोध्या में कर दिया लेकिन. 15 दिन बीतने के बाद जब उनके कुलगुरु ने सीता को कलेवा भिजवाने की सलाह दी तो राजा जनक ने खुद ही कलावा लेकर अयोध्या जाने का निर्णय किया.
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लेकिन समस्या यह थी कि वह जितने दिन अयोध्या में रुकेंगे तो क्या खाएंगे और कहां ठहरेंगे. क्योंकि सनातन धर्म में पिता अपनी बेटी के ससुराल में जल तक ग्रहण नहीं करते। ऐसे में राजा जनक ने अपने दूत को अयोध्या भेजकर राजा दशरथ से अयोध्या में ही एक भूखंड खरीदने को कहा.
इसके बाद अयोध्या नगर से बाहर इस भूखंड में एक गांव बसाया गया,जिसका नाम जनौरा रखा गया। फिर राजा जनक सीता जी के लिए कलेवा लेकर पहुंचे और इसी गांव में ठहरे।
रामायण में वर्णित कथा के अनुसार राजा जनक जब सीता जी के लिए कलेवा लेकर अयोध्या आए थे तो जनौरा गांव में करीब एक अरसे तक ठहरे थे. इसके बाद भी राजा जनक जब-जब अयोध्या आए तो यहीं जनौरा में बने अपने भवन में ही ठहरे.






