(सौजन्य सोशल मीडिया)
शिव की आराधना का पावन पर्व सावन माह, सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस पूरे माह भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सावन माह में देश-विदेश सहित सभी शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। देवों के देव महादेव की पूजा आराधना के लिए सबसे अच्छा यानी शुभ दिन सोमवार को माना जाता है। सोमवार के दिन भगवान शिव और शिवलिंग की पूजा कर भक्त शुभ आशीष प्राप्त करते हैं।
पूजा पाठ के दौरान भोलेनाथ को उनकी पसंद का भोग भी लगाया जाता है। बहुत से लोग ऐसे हैं जो शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद ग्रहण कर लेते है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद ग्रहण करना चाहिए या नहीं? आइये जानते हैं कि इस विषय में क्या कहते हैं ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार….
शिव पुराण के अनुसार, शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाने से सभी पापों का अंत हो जाता है और इससे साधक को बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है। इससे जीवन में दिव्यता का संचार होता है। इसको लेकर एक कथा बताई जाती है। कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव के मुख से चंडेश्वर नामक गण प्रकट हुआ था। तब शिवजी ने चंडेश्वर को भूत-प्रेतों का प्रधान बना दिया। साथ ही भगवान ने शिवलिंग पर चढ़ाए प्रसाद पर इसको अधिकार दे दिया। मान्यता है कि, शिवलिंग का प्रसाद खाना चंडेश्वर यानी भूतों का खाना खाने जैसा माना गया है। इसलिए मनुष्यों को यह नहीं खाना चाहिए।
हालांकि, कई विद्वान इससे अलग मत रखते हैं। उनका कहना है कि कुछ खास तरह के शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद ही नहीं खाना चाहिए, बाकी पर चढ़ा प्रसाद खा सकते हैं। अगर आप भी शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद खाते हैं या घर ले जाते हैं तो कुछ नियमों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। धार्मिक ग्रंथों और विद्वानों के अनुसार तांबे, सोने, चांदी आदि धातुओं से बने शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद खाया जा सकता है। पारद शिवलिंग पर भी प्रसाद चढ़ाने के बाद खा सकते हैं और घर भी ले जा सकते हैं। इन धातुओं से बने शिवलिंग का प्रसाद खाने से किसी भी प्रकार का कोई दोष नहीं लगता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव की प्रतिमा पर चढ़ाया गया भोग, प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जा सकता है। ऐसा करने से प्रसाद ग्रहण करने वाले भक्तों को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
लेखिका- सीमा कुमारी