अजा एकादशी के दिन करें इस कथा का पाठ(सौ.डिजाइन फोटो)
Aja Ekadashi Vrat Katha: आज यानी 19 अगस्त को अजा एकादशी व्रत रखा जा रहा है। यह व्रत सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से अजा एकादशी के दिन व्रत रखते हैं और पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही मृत्यु के बाद विष्णु लोक में स्थान प्राप्त होता है।
इसके अलावा, ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा के दौरान व्रत का कथा का पाठ न करने से पूजा अधूरी मानी जाती। ऐसे में इस दिन व्रत का पाठ का जरूर करें। आइए पढ़ते हैं कथा।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सतयुग में हरिश्चंद्र नामक एक महान, सत्यवादी और दयालु राजा हुआ करते थे। वे अपने धर्मनिष्ठ स्वभाव के लिए प्रसिद्ध थे, लेकिन समय के साथ उन पर विपरीत परिस्थितियां आने लगीं और दुर्भाग्यवश उन्हें अपना राज-पाट, संपत्ति और परिवार सब कुछ गंवाना पड़ा। हालात इतने बिगड़े कि उन्हें एक चांडाल के घर दास का जीवन व्यतीत करना पड़ा।
इन परिस्थितियों में राजा हरिश्चंद्र अत्यंत दुखी और निराश हो गए थे। एक दिन जब वे शोक में बैठे थे, तभी वहां से गौतम ऋषि गुजरे। ऋषि ने राजा की व्याकुलता देखकर कारण पूछा। तब राजा हरिश्चंद्र ने अपनी समस्त व्यथा सुनाई और कष्टों से मुक्ति पाने का उपाय जानना चाहा।
गौतम ऋषि ने उन्हें अजा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और दुखों से मुक्ति मिलती है। ऋषि के वचन सुनकर राजा हरिश्चंद्र ने भक्ति भाव से उपवास किया, भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की और रात्रि जागरण कर श्रीहरि का ध्यान किया।
व्रत के प्रभाव से उनके समस्त पाप नष्ट हो गए और उनके जीवन में फिर से खुशहाली लौट आई। उन्हें अपना राज्य, परिवार और सम्मान पुनः प्राप्त हो गया। मृत्यु के पश्चात राजा हरिश्चंद्र को बैकुंठ धाम की प्राप्ति हुई।
इस प्रकार अजा एकादशी का व्रत आत्मिक शांति, धार्मिक पुण्य और ईश्वर की कृपा प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
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अजा एकादशी के दिन दान करने का विशेष महत्व है। पूजा करने के बाद मंदिर या गरीब लोगों में अन्न-धन समेत आदि चीजों का दान करें। ऐसा माना जाता है कि अजा एकादशी के दिन दान करने से धन लाभ के योग बनते हैं और जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती है।