क्यों कहा जा रहा है 2026 ‘रौद्र संवत्सर’?(सौ.सोशल मीडिया)
Year 2026 Prediction: नया साल 2026 शुरू होने में अभी वक्त है, लेकिन इसकी चर्चा अभी से तेज हो चुकी है। ज्योतिषीय गणनाओं के मुताबिक आने वाला वर्ष कई तरह की उथल-पुथल, ग्रहों की टक्कर और दुर्लभ खगोलीय घटनाओं से भरा रहने वाला बताया जा रहा है।
हिंदू नववर्ष 19 मार्च 2026 से शुरू होगा और इस बार विक्रम संवत 2083 को रौद्र संवत्सर कहा गया है, यानी ऐसा वर्ष जिसमें परिस्थितियां कठोर हो सकती हैं और कई चुनौतियां सामने आ सकती हैं। लोगों के मन में भी सवाल है कि आखिर 2026 को लेकर इतना शोर क्यों? ग्रहों की स्थिति क्या सच में इतना असर दिखा सकती है? जानिए ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा से इस बारे में-
माना जा रहा है कि 2026 के संवत्सर में दुनिया कई तरह की अप्रत्याशित घटनाओं का सामना कर सकती है। ज्योतिषीय भविष्यवाणियों में मौसम का अचानक बदलना, बड़े भूकंप, हिंसा, युद्ध जैसी स्थितियों की आशंका जताई गई है। कुछ भविष्यवाणियां तो वैश्विक स्तर पर बड़े पैमाने पर विनाशकारी घटनाओं का संकेत भी देती हैं।
अगर सपने में दिख जाएं ये चीजें, तो समझो शुरु हो गया बुरा वक्त
ज्योतिष के अनुसार नए साल के राजा गुरु (बृहस्पति) होंगे, लेकिन वे अतिचारी अवस्था में बताए गए हैं, यानी उनका प्रभाव सामान्य से अलग और अनपेक्षित हो सकता है। वर्ष 2025 के मंत्री मंगल, 2026 में भी क्रूर ग्रहों के साथ युति बनाकर प्रभाव बढ़ा सकते हैं। शनि, जो पहले से ही गुरु की राशि मीन में चल रहे हैं, माहौल को गंभीर बना सकते हैं। इन सभी ग्रह-परिवर्तनों के चलते कई ज्योतिषी आने वाले समय को चुनौतीपूर्ण मान रहे हैं।
– भारत के संदर्भ में भी 2026 को उतार-चढ़ाव वाला साल बताया जा रहा है।
– राजनीति में बड़े फैसले और अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
– कुछ बड़े राज्यों में असहमति, विरोध और टकराव की स्थितियां बन सकती हैं।
– प्रदूषण, भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की संभावना भी जताई जा रही है।
ये भविष्यवाणियां डराने वाली जरूर लग सकती हैं, लेकिन ज्योतिष सिर्फ संभावनाओं की ओर संकेत देता है, निश्चित भविष्य नहीं।
मंगल की स्थिति को लेकर कहा गया है कि उनकी चाल बड़े संघर्ष या किसी तरह के युद्ध की ओर इशारा करती है। अनुमान यह भी है कि यदि कोई युद्ध शुरू हुआ तो उसका प्रभाव 2027 तक जारी रह सकता है। हालांकि यह पूरी तरह ज्योतिषीय संकेतों पर आधारित है और वास्तविक स्थिति देशों के फैसलों पर निर्भर करेगी।
जून-जुलाई 2026 को लेकर कुछ ज्योतिषी संक्रमण और स्वास्थ्य संकट के संकेत दे रहे हैं। ग्रह-गोचर ऐसी स्थिति दिखा रहे हैं जिसमें महामारी जैसी परेशानी दोबारा जन्म ले सकती है। हालांकि विज्ञान और स्वास्थ्य सिस्टम पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हैं, इसलिए घबराने की बजाय सावधानी ही सबसे अच्छा उपाय है।
कब बिल्कुल गुस्सा नहीं करना चाहिए? जानिए क्या कहती है चाण्यक्य नीति
इन भविष्यवाणियों का उद्देश्य डर पैदा करना नहीं है, बल्कि लोगों को सतर्क रहने का संदेश देना है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। मौसम और पर्यावरण से जुड़ी चेतावनियों को हल्के में न लें। मानसिक तनाव से दूर रहें। सकारात्मक और जागरूक जीवनशैली अपनाएं।