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Putrada Ekadashi Vrat Katha 2025: संतान सुख दिलाने वाली पौष पुत्रदा एकादशी, जानिए व्रत कथा और महिमा

Putrada Ekadashi Vrat Katha: वैदिक पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पौष एकादशी या पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। वर्ष 2025 में यह पावन तिथि 30 दिसंबर को पड़ रही है।

  • By सिमरन सिंह
Updated On: Dec 30, 2025 | 11:31 AM

साल 2025 की आखिरी एकादशी के दिन करें ये उपाय (सौ.सोशल मीडिया)

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When is Putrada Ekadashi 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पौष एकादशी या पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। वर्ष 2025 में यह पावन तिथि 30 दिसंबर को पड़ रही है, जिसे साल की अंतिम एकादशी भी माना जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। साथ ही जीवन के सभी दुख-दर्द और पीड़ाओं से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। मान्यता यह भी है कि पूजा के बाद व्रत कथा का पाठ किए बिना व्रत अधूरा माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं पौष पुत्रदा एकादशी की पावन व्रत कथा।

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

भद्रावती नामक नगरी में सुकेतुमान नामक एक धर्मपरायण राजा राज्य करता था। उसकी पत्नी का नाम शैव्या था। राजा के पास अपार धन, वैभव, हाथी-घोड़े, मंत्री और शक्तिशाली राज्य होने के बावजूद उसे जीवन में पूर्ण संतोष नहीं था, क्योंकि उसके कोई संतान नहीं थी। रानी शैव्या भी पुत्र न होने के कारण सदैव चिंतित और व्यथित रहती थी।

राजा के पितर भी दुखी रहते थे, क्योंकि उन्हें यह चिंता सताती थी कि आगे चलकर “इसके बाद हमको कौन पिंड देगा।” राजा दिन-रात इसी विचार में डूबा रहता था कि मेरे मरने के बाद मुझे कौन पिंडदान करेगा और बिना पुत्र के पितरों व देवताओं का ऋण कैसे चुकाऊंगा। उसका मानना था कि जिस घर में पुत्र नहीं होता, वहां सदा अंधकार बना रहता है।

ऋषि-मुनियों से मिला समाधान

पुत्र प्राप्ति की कामना लेकर एक दिन राजा नगर के बाहर स्थित एक सुंदर सरोवर के पास पहुंचा, जहां कई ऋषि-मुनि विराजमान थे। राजा ने विनम्रतापूर्वक उन्हें प्रणाम किया। चिंतित राजा को देखकर मुनियों ने कहा “हे राजन! हम तुमसे अत्यंत प्रसन्न हैं, अपनी इच्छा बताओ।”

राजा ने पूछा कि आप कौन हैं और यहां किस उद्देश्य से आए हैं। इस पर मुनियों ने उत्तर दिया “हे राजन! आज संतान देने वाली पुत्रदा एकादशी है। हम विश्वदेव हैं और इस सरोवर में स्नान करने आए हैं।” यह सुनकर राजा ने विनती की कि यदि आप प्रसन्न हैं, तो मुझे एक पुत्र का वरदान दीजिए।

ये भी पढ़े: गलत विचारों को कैसे रोकें? प्रेमानंद जी महाराज के उपदेशों से जानिए दिव्य प्रेम का मार्ग

व्रत का फल और संतान प्राप्ति

मुनियों ने कहा “हे राजन! आज पुत्रदा एकादशी है। आप इसका विधिपूर्वक व्रत करें, भगवान विष्णु की कृपा से अवश्य ही आपके घर पुत्र का जन्म होगा।” राजा ने मुनियों की आज्ञा का पालन करते हुए उसी दिन एकादशी का व्रत किया और द्वादशी को विधिवत पारण किया। कुछ समय बाद रानी शैव्या ने गर्भ धारण किया और नौ महीने पश्चात एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। वह राजकुमार आगे चलकर शूरवीर, यशस्वी और प्रजापालक सिद्ध हुआ।

धार्मिक महत्व

पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत न केवल संतान प्राप्ति का मार्ग खोलता है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी प्रदान करता है।

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Published On: Dec 30, 2025 | 11:31 AM

Topics:  

  • Ekadashi Fast
  • Religion
  • Sanatan Hindu religion

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