मासिक दुर्गाष्टमी(सौ.सोशल मीडिया)
Masik Durgashtami 2025 : मां दुर्गा को समर्पित मासिक दुर्गाष्टमी हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार फाल्गुन महीने की मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत 7 मार्च को मनाई जाएगी। यह दिन देवी दुर्गा को समर्पित है और इस दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत और पूजा करने से मां दुर्गा अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं मासिक दूर्गाष्टमी की पूजा का तिथि और पूजा।
कब है फाल्गुन माह की मासिक दुर्गाष्टमी
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की आष्टमी तिथि की शुरुआत 6 मार्च को सुबह 10 बजकर 6 मिनट पर शुरू होगी। वहीं तिथि का समापन 7 मार्च को सुबह 9 बजकर 18 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस बार मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत 7 मार्च को रखा जाएगा।
ऐसे करें मासिक दुर्गाष्टमी पूजा
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन जातक को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए। फिर पूजा स्थान को साफ करके मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और फिर माता को लाल रंग के वस्त्र से ढक दें।
इसके बाद मां दुर्गा को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर उन्हें चंदन, रोली, सिंदूर और फूल आदि चढ़ाएं। फिर माता रानी को फल और मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद मां दुर्गा के विभिन्न मंत्रों का जाप करें और दुर्गा स्तुति का पाठ करें। अंत में मां दुर्गा की आरती करें। फिर कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें दान भी दें।
जानें क्या है मासिक दुर्गाष्टमी की मान्यता
मान्यता है कि मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की सच्चे मन से पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर से नेगेटिव एनर्जी दूर होती है।
इस दिन इन मंत्रों का जाप करने से लोगों को मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं। इसके साथ ही जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत में करें इन मंत्रों का जाप
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
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नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।