गणेशजी के पूजन से जुड़ी जानकारी (सौ. सोशल मीडिया)
Ganesh Chaturthi Decoration Ideas: भगवान श्री गणेशजी के उत्सव की शुरुआत 27 अगस्त होने वाली है। प्रथम पूज्य श्रीगणेश के जन्म का उत्सव 10 दिनों के लिए चलता है। इस दौरान भगवान गणेश की पूजा और प्रिय भोग अर्पित किए जाते है। जैसा कि, हर कोई जानते है सभी देवी-देवताओं की पूजा करने से पहले श्रीगणेशा की पूजा करने का महत्व होता है। गणेश उत्सव के दौरान देवा गणेशा को मोदक, मोतीचूर के लड्डू भोग में रखे जाते है।
गणपति स्थापना से पहले भगवान गणेश के स्थान पर सजावट की जाती है। सजावट के लिए ईको फ्रेंडली चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। 10 दिनों के गणेश उत्सव के दौरान श्रीगणेश की पूजा करने के साथ आरती उतारी जाती है। गणेश उत्सव का माहौल बड़ा खुशनुमा और उत्साह से भरा होता है।
यहां पर भगवान गणेश के भोग, डेकोरेशन और पूजा-पाठ से जुड़ी जानकारी पर हम विस्तृत रूप से बात करते है, जो इस प्रकार है…
जानिए भगवान गणेश के प्रिय भोग
गणेश उत्सव के 10 दिनों के दौरान भगवान श्रीगणेश के प्रिय भोग अर्पित किए जाते है…
मोदक भगवान गणेश का सबसे प्रिय भोग है, जो चावल के आटे, नारियल और गुड़ से बनता है और इसे आनंद का प्रतीक कहते है।
ये लड्डू भगवान गणेश को अति प्रिय हैं और इन्हें अर्पित करने से सुख-समृद्धि आती है।
चावल, चीनी, और मेवों से बनी खीर भी गणेश जी को बहुत पसंद है, जो घर में सुख-समृद्धि में वृद्धि करती है।
लड्डू, केले का भोग,सूजी का हलवा, और दूध व मेवों का मिश्रण भी अर्पित किया जा सकता है।
भगवान श्रीगणेशा का भोग (सौ. सोशल मीडिया)
भगवान श्रीगणेश की स्थापना घर और पंडाल में कर रहे है तो इससे पहले आप सजावट कर सकते है। सजावट के लिए आप इन जरूरी आइडियाज को जान सकते है..
1-फूल और पत्ते:
मोगरा, गुलाब, चमेली और गेंदे जैसे फूलों का उपयोग करें। यहां पर सफेद फूल शांति और ज्ञान का प्रतीक हैं। इसके अलावा सजावट के लिए पत्तों का उपयोग करें। यह मंदिर और बप्पा के स्थान को सजाने के लिए किया जा सकता है।
2-मालाएँ और रिबन:
रंग-बिरंगी फूल मालाएँ यापोम-पोम मालाएँ मंडप के किनारों पर लटका सकते हैं। सजावट के लिए रंग-बिरंगे रिबन से भी शानदार डिजाइन बनाए जा सकते हैं।
3-अन्य वस्तुएँ:
दीये,गुब्बारे,लालटेन और रंग-बिरंगे कागज़ों का उपयोग भी किया जा सकता है.
4-लाइटिंग:
रंगीन लाइट्स, फेयरी लाइट्स, या एलईडी लाइट्स का उपयोग करके पंडाल और पूजा स्थल को रोशन करें।
5-फूलों का गजरा:
ताजे फूलों का गजरा बनाकर पंडाल या पूजा स्थल पर लटकाएं।
6-पत्तियों की लड़ी :
हरी पत्तियों को एक साथ बांध कर एक सुंदर लड़ी बनाएं और पंडाल या पूजा स्थल पर लटकाएं।
7-मिट्टी के दीये:
मिट्टी के दीयों में तेल और बाती डाल कर पंडाल और पूजा स्थल पर रखें।
8-रंगोली:
रंगोली पाउडर या चावल के आटे से एक सुंदर डिजाइन बनाएं और पंडाल या पूजा स्थल पर रखें।
9-पूजा थाली सजावट:
पूजा थाली को फूलों, पत्तियों, और मिठाई से सजाएं।
10-धूपबत्ती:
सूखे पत्तों और मसालों को एक साथ बांध कर एक सुंदर धूपबत्ती बनाएं और पंडाल या पूजा स्थल पर रखें।
गणेश जी की मूर्ति को फूलों, पत्तियों, और मिठाई से सजाएं।
पंडाल के बाहर सजावट:
पंडाल के बाहर फूलों, पत्तियों, और रंगीन कागज़ से सजावट करें।
पर्यावरण के अनुकूल सजावट (Eco-friendly Decoration)
प्लास्टिक और थर्माकोल की जगह प्राकृतिक और पुन: प्रयोज्य (reusable) सामग्रियों का उपयोग करें।
सजावट में मिट्टी की मूर्तियों का प्रयोग करें और प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें।
भगवान गणेश की आरती (Ganpati Aarti in Hindi)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
श्रीगणेशा की आरती (सौ. सोशल मीडिया)
जय देव, जय देव,
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ति
दर्शनमात्रे मन कामनापुर्ति
जय देव, जय देव
रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुंकुम केशरा।
हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया॥
जय देव, जय देव
जय देव, जय देव
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ति
दर्शनमात्रे मन कामनापुर्ति
जय देव, जय देव
लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।
सरळ सोंड वक्रतुण्ड त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकटी पावावें, निर्वाणी रक्षाव।।
जय देव, जय देव
जय देव, जय देव
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ति
दर्शनमात्रे मन कामनापुर्ति
जय देव, जय देव
घालीन लोटांगण, वंदिन चरण।
डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे।
प्रेमे आलिंगीन आनंदे पुजिन
भावें ओवालिन म्हाणे नामा।।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव॥
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्व मम देवदेव॥
कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा
बुद्धात्माना वा प्रकृतिस्वभावात
करोमि यद्यत सरलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि।।
अच्युतं केशवं रामनारायणं,
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरि।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं,
जानकीनायकं रामचंद्रं भजे॥
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे।
हरे कृष्णा हरे कृष्ण,
कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची।।
जय देव, जय देव
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ति
दर्शनमात्रे मन कामनापुर्ति
जय देव, जय देव।।
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गणेश जयंती के दिन पूजा के दौरान गणेश जी की आरती के साथ-साथ मंत्रों का जप भी जरूर करना चाहिए। इससे आपको पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है और गणेश जी की कृपा समस्त परिवार पर बनी रहती है।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये।
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
ॐ गं गणपतये नमः॥
ॐ वक्रतुण्डाय हुम्॥
गणेश गायत्री मंत्र –
ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
ऋणहर्ता गणपति मंत्र –
ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥